By अभिनय आकाश | Nov 25, 2025
ऑस्ट्रेलिया की कट्टर दक्षिणपंथी सेनेटर पॉलिन हसन ने संसद के ऊपरी सदन में ऐसा माहौल बना दिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। वो अचानक काले बुर्के में लिपटी हुई सीनेट में दाखिल हुई और जैसे ही लोग समझने लगे कि अंदर कौन आया है। पूरा सदन शोर और गुस्से से भर गया। हसन लंबे वक्त से सार्वजनिक जगहों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले कपड़ों खासकर बुर्के पर पाबंदी की मांग कर रही है। लेकिन जब उन्हें इस मुद्दे पर बिल पेश करने की अनुमति नहीं मिली तो उन्होंने विरोध का यह तरीका अपनाया। उनके आते ही सदन की कारवाई रुक गई।
कई सांसदों ने उनके बुर्का हटाने को कहा लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया। धीरे-धीरे आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। न्यू साउथ वेल्स की सीनेटर मेहरीन फारूकी ने सीधा आरोप लगाया कि यह हरकत नस्लवाद को बढ़ावा देती है और एक जिम्मेदार प्रतिनिधि को ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की स्वतंत्र सांसद फातिमा पाइमन ने भी इसे बेहद अपमानजनक और शर्मनाक बताया। सरकार की सीनेट लीडर पेनी वोंग ने कहा कि यह कदम किसी चुने हुए सीनेटर की गरिमा के अनुकूल नहीं है और उन्होंने मांग की कि अगर वे कपड़े हटाने से मना करती हैं तो उन्हें सदन से निलंबित कर दिया जाए।
घटना के बाद अपने फेसबुक पोस्ट में हैंसन ने लिखा यह उनका विरोध दर्ज कराने का तरीका था क्योंकि सीनेट ने उनके बिल पर विचार करने से ही इंकार कर दिया था। अगर सदन नहीं चाहता कि वह बुर्का पहने तो फिर बुर्के पर प्रतिबंध ही लगा दिया जाए। यह पूरा मामला सिर्फ एक कपड़ा पहनने का नहीं था बल्कि यह ऑस्ट्रेलिया राजनीति में बढ़ते ध्रुवीकरण, पहचान की राजनीति और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चल रही बहस का एक तेज मोड़ था।
पॉलीन हैन्सन दशकों से ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में एक विवादास्पद हस्ती रही हैं। उनकी पार्टी, वन नेशन, वर्तमान में सीनेट में चार सीटें रखती है, मई के आम चुनाव में दो और सीटें जीतने के बाद। पार्टी के उदय को अति-दक्षिणपंथी, आव्रजन-विरोधी विचारों के बढ़ते समर्थन से जोड़ा गया है। हैन्सन पहली बार 1990 के दशक में राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी गईं, मुख्यतः एशिया से आने वाले आप्रवासन के खिलाफ उनके मुखर विचारों के कारण। उन्होंने उस समय तर्क दिया था कि ऑस्ट्रेलिया पर "एशियाई लोगों की बाढ़ आने का खतरा" मंडरा रहा है। उन्होंने लंबे समय से बहुसंस्कृतिवाद की आलोचना की है और कड़े आप्रवासन नियंत्रणों की वकालत की है।