By अभिनय आकाश | Feb 24, 2021
तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ किसान आंदोलन में एक चेहरा जो हर सभा, हर ललकार हर चेतावनी और पुकार में नजर आ रहा है और जिसकी चर्चा देशभर में है वो हैं किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत। करीब एक महीने से राकेश टिकैत अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत आधा दर्जन राज्यों में हुई किसानों की महापंचायत में शामिल हुए और इसके केंद्रबिन्दु भी बनकर सरकार को खुले मंच से ललकार भी चुके हैं। जिसके बाद कभी ये कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन अब जाट आंदोलन में तब्दील हो चुका है तो कभी इसे टिकैत की बढ़ती महत्वकांक्षा का प्रतीक भी बताया जा रहै है। वहीं दिल्ली में हुई लाल किले की घटना और फिर प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के बाद से आंदोलन में शिरकत कर रहे कई किसान नेताओं ने फिलहाल अपनी दूरी बनाए रखी है। हर जगह अलग-अलग राज्यों में किसानों के साथ टिकैत ही पंचायत करते दिख रहे हैं।
मोदी सरकार का पर्दे के पीछे का खेल
सूत्रों के अनुसार राकेश टिकैत की बढ़ती सक्रियता और किसान आंदोलन को हाईजैक करने की कवायद कई किसान नेताओं को नागवार गुजर रही है। इसी क्रम में कुछ किसान नेताओं की सरकार के साथ पर्दे के पीछे से बातचीत की भी खबर है। इस बात की भी खबर है कि कई किसान नेता कृषि कानून की वापसी वाले हट का त्याग करने को तैयार हैं जिसके एवज में उन्हें कानून को लेकर तमाम आपत्तियों पर सरकार कोई आश्वस्त करने वाला भरोसा दे सकती है। ऐसे में जिस तरह से पर्दे के पीछे वार्ता की खबरें सामने आ रही है तो आने वाले कुछ दिनों में कोई बड़ा सरप्राइज पैकेज सामने आ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
टिकैत पड़ जाएंगे अकेले
कृषि कानूनों के खिलाफ राकेश टिकैत के आंदोलन को मजबूती तमाम किसान समर्थक गुटों के साथ आने से ही मिली थी। ऐसे में अगर कुछ और बड़े नामों को साथ लेकर सरकार अगर सहमति बनाने में कामयाब हो जाती है तो टिकैत के आंदोलन की ताकत क्या रह जाएगी इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। राकेश टिकैत के लिए खुद के बूते पर देशभर में किसानों को साधकर साथ लाना असंभव सा है। ऐसे में देखना ये दिलचस्प होगा की इस तरह के अटकलों में कितना दम है।