गाड़ियों में कंपन कम कर सकते हैं कार्बन नैनोट्यूब कंपोजिट

By उमाशंकर मिश्र | Aug 01, 2020

गाड़ियों में लगने वाले झटकों से सफर का मजा किरकिरा हो जाता है। गाड़ियों में इस कंपन को दूर करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ता कार्बन नैनोट्यूब कंपोजिट पर काम कर रहे हैं, जिन्हें अपने अध्ययन के दौरान उत्साहवर्द्धक नतीजे मिले हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के नतीजे गाड़ियों में कंपनकम करनेकी दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।


इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मल्टी-वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब का संश्लेषण विभिन्न विधियों से किया है और उन्हें एपॉक्सी पॉलिमर्स में लोड किया है। मल्टी-वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब कार्बन की संकेंद्रित नलिकाओं से बनी होती हैं। इसकी परतों के बीच चिकनी सतह कंपन को कम कर सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कंपनकम होने का प्रभाव स्वाभाविक रूप से मल्टी-वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब की प्रकृति पर निर्भर करता है।इस प्रकार, कंपन के तंत्र की बेहतर समझ पैदा होने से ऑटोमोबाइल्स के कंपन-रोधी डिजाइन तैयार किए जा सकेंगे।

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‘प्लाज्मा आर्क डिस्चार्ज’ नामक प्रक्रियासे तैयार मल्टी-वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब का उदाहरण देते हुए शोधकर्ताओं ने बताया कि ये सीधे एवं लंबे होते हैं, जबकि रासायनिक वाष्प के जमाव सेबने कार्बन नैनोट्यूब की संरचनाकुंडलित (Coiled) होती है। शोधकर्ताओं का मानना है किसीधी एवं लंबी नैनोट्यूब की दीवारों के बीचबेहतर चिकनी सतहहो सकती है। इस प्रकार, कुंडलित नैनोट्यूब के मुकाबले इसमें कंपन कम करने केगुण भी बेहतर हो सकते हैं। आईआईटी मद्रास द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने इसी तथ्य की पहचान अपने अध्ययन में की है।


आईआईटी मद्रास में मेटलर्जिकल ऐंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रताप हरिदॉस और उनकी शोध टीम ऐसे ही दिलचस्प पॉलिमर कंपोजिट के विकास और परीक्षण की दिशा में काम कर रही है। प्रोफेसर हरिदॉसने बताया कि "कार्बन नैनोट्यूबके उत्कृष्ट गुण– कार्बन कणों की लिपटी चादर से बने नैनोमीटर आकार के अणु- पॉलिमर्स के यांत्रिक, थर्मल और विद्युतीय गुणों में जबरदस्त सुधार कर सकते हैं। कार्बन नैनोट्यूब पॉलिमर कंपोजिट्स के विभिन्न गुणों में उनका कंपन-रोधी गुण भी शामिल है, जो उन्हें एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल और निर्माण उद्योगों में उपयोगी बनाता है।”

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पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। वर्ष 1988 में आईआईएससी में शामिल होने से पहले उन्होंने बेल लेबोरेटरीज, न्यू जर्सी, अमेरिका में काम किया। आईआईएससी के इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग और इलेक्ट्रिकल साइंस विभाग के अध्यक्ष के रूप में काम करने के बाद 1 अगस्त 2014 को उन्हें संस्थान का निदेशक नियुक्त किया गया था।


प्रोफेसर हरिदॉस ने बताया कि "हमने दो प्रकार के मल्टी-वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब के प्रभावों का पता लगाने के लिए कम्प्यूटेशनल सिमुलेशन आधारित अध्ययन किया है। इससे हमने पाया कि मल्टी-वॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब में कंपन को धीमा करने के गुण उन कणों के संपर्क से उत्पन्न होते हैं, जो आंतरिक एवं बाहरी ट्यूब का गठन करते हैं।”


यह अध्ययन हाल में शोध पत्रिका नैनोस्केल एडवांस में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में प्रोफेसर हरिदॉस के अलावा डॉ आनंद जॉय, डॉ सुशी वरुघसे, डॉ आनंद के. कंजरला और डॉ एस. शंकरन शामिल थे।


इंडिया साइंस वायर

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