By अनुराग गुप्ता | Nov 26, 2021
चेन्नई। एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण से उस व्यक्ति की जाति नहीं बदलती है। दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। आपको बता दें ईसाई धर्म अपनाने वाले एक दलित व्यक्ति ने अंतरजातीय विवाह प्रमाण पत्र की मांग की थी। अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण से जाति नहीं बदलती है। ऐसे में अंतर्जातीय विवाह का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एसएम सुब्रह्मण्यम ने अनुसूचित जाति वर्ग के एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
ए पॉल राज ने बदला था अपना धर्म
तमिलनाडु के सलेम जिले के रहने वाले ए पॉल राज द्रविड़ समुदाय से आते हैं। जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था और फिर साल 2009 में अरुणथथियार समुदाय की एक लड़की से शादी कर ली। इसके बाद ए पॉल ने अंतरजातीय विवाह प्रमाण पत्र की मांग की। आपको बता दें कि तमिलनाडु में अंतरजातीय शादी करने वालों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में ए पॉल भी अंतरजातीय विवाह प्रमाण पत्र चाहते थे। इसके लिए उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जन्म से द्रविड़ समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और धर्म परिवर्तन से उनका समुदाय नहीं बदलेगा। शादी के बाद ए पॉल ने दावा किया कि यह एक अंतरजातीय विवाह था क्योंकि अब वह दलित नहीं बल्कि पिछड़ा वर्ग से आते हैं
अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं पति-पत्नी
उन्होंने दावा किया कि बीसी सदस्य की एससी सदस्य के साथ शादी को अंतरजातीय विवाह के रूप में माना जाएगा। उन्होंने 2 दिसंबर 1976 के सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जहां पति या पत्नी में से एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित है तो याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरजातीय विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दोनों जन्म से अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं। जाति जन्म से निर्धारित होती है और धर्म बदलने से जाति नहीं बदल जाती है।