By अभिनय आकाश | Sep 30, 2021
चीन का पुराना फार्मूला है इन्वेस्टमेंट और व्यापार के लुभावने वादे। श्रीलंका हो या मालदीव पाकिस्तान हो या नेपाल, इन देशों में खूब इनवेस्ट करता है और तरक्की के सपने बेचता है और फिर इसी कर्ज की राह अपने सामरिक हित साधता है। चीन का मकसद बेल्ट एंड रोड परियोजना के जरिये पूरी दुनिया को चीन से जोड़ने का है। इसके लिए वो कई देशों में भारी मात्रा में निवेश कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो इसके तहत उसने सलाना 85 अरब डॉलर के करीब खर्च किए हैं। चीन की महत्वकांक्षा अब 42 देशों के लिए मुसबीत बनती जा रही है। अब इन देशों को चीन के 385 अरब डॉलर की चिंता सताने लगी है। एक स्टडी के अनुसार इन देशों पर चीन का कर्ज उनकी जीडीपी के 10% से अधिक पहुंच गया है।
AidData द्वारा आज जारी अध्ययन को 'बैंकिंग ऑन बेल्ट एंड रोड पर: 13,427 चीनी विकास परियोजनाओं का वैश्विक डेटासेट' नाम दिया गया है। इसके मुताबिक बीआरआई की 35% इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को भ्रष्टाचार घोटालों मजदूर हिंसा, पर्यावरण असुरक्षा और जनविरोध जैसी बड़ी कार्यान्वयन समस्याओं का सामना करना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीआरआई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पटरी पर उचारने में औसतन 1047 दिन का समय लगता है। इसकी तुलना में बीआरआई के इतर चीनी सरकार द्वारा वित्तपोषित बुनियादी ढांचा परियोजनाएं में स्थिति काफी बेहतर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मेजबान सरकारें "भ्रष्टाचार और अधिक कीमतों की चिंताओं के साथ-साथ सार्वजनिक भावना में बड़े बदलाव के कारण हाई-प्रोफाइल बीआरआई परियोजनाओं को प्रभावित कर रही हैं, जिससे चीन के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखना मुश्किल हो गया है। चीन दूसरे देशों को मदद के बजाय लोन देना पसंद करता है। बीआरआई में उसका लोन-टु-ऐड रेश्यो 31:1 है जो किसी भी स्टैंडर्ड से बहुत अधिक है। एशिया बेस्ड एकेडमिक राइटर रिचर्ड हेडेरियन का कहना है कि बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से 21 वीं सदी की भू-राजनीति की धुरी बनता जा रहा है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के एक आधिकारिक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि अब से 2040 तक दुनियाभर में इन्फास्ट्रक्चर के विकास के लिए 94 लाख करोड़ डॉलर की जरूरत होगी। यह चीनी धन के लिए दुनिया की भूख की व्याख्या करता है, साथ ही साथ क्यों देश बीआरआई की कमियों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं।