By अभिनय आकाश | Jun 21, 2025
इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी जंग को लेकर दुनियाभर के देश अपने अपने तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जी7 की बैठक को बीच में ही छोड़कर वहां से आनन-फानन में निकले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बॉडी लैंग्वेज से तो ऐसा ही लगा कि वो अब बस ईरान पर कुछ बड़ा कदम उठाने ही वाले है। एयरफोर्स वन में बैठते वक्त पत्रकारों से भी कुछ बड़ा होने वाला शगूफा छोड़ा। हालांकि बाद में पता चला कि ट्रंप को ईरान पर एक्शन लेना है या नहीं इसे तय करने के लिए 15 दिन का वक्त लगेगा। इन सब के बीच रूस और चीन खुलकर इजरायल के विरोध में आ गए हैं। संयुक्त राष्ट्र में इसकी झलक भी दिखाई पड़ी।
इजरायल अकेला पड़ता नजर आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मदद की उम्मीद कम हो चुकी है और उधर चीन व रूस लगातार इजरायल पर हमलावर है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मीटिंग में इजरायल को लेकर जो कहा उसके बाद मानो इजरायल की मुसीबत और बढ़ने वाली है। यूएनएससी की इमरजेंसी मीटिंग में इजरायल पर साफ साफ चीन ने कई गंभीर आरोप लगाए। संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने कहा कि इजरायल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों का उल्लंघन करती है। ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालती है।
चीन, पाकिस्तान, रूस और अल्जीरिया के अनुरोध पर ईरान पर आयोजित आपातकालीन सत्र में बोलते हुए रूसी दूत वसीली नेबेंजिया ने हमलों की निंदा की और कहा कि ईरानी, शांतिपूर्ण नागरिक परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया जा रहा है, और इससे हम अदृश्य परमाणु आपदा में फंस सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि सुरक्षा परिषद अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती और उसे स्थिति का निष्पक्ष मूल्यांकन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि परमाणु सुविधाओं को हमलों का निशाना नहीं बनाया जा सकता है और मांग की कि पश्चिमी यरुशलम ईरान पर हमले और छापे तुरंत बंद करे।
नेबेंजिया ने इजरायली आक्रमण को बढ़ावा देने के लिए पश्चिम की आलोचना की, उन्होंने कहा कि ब्रिटिश, फ्रांसीसी और जर्मन राजनयिकों की बयानबाजी सबसे घातक हथियारों जितनी ही खतरनाक है। रूस ने ईरान में नागरिक वस्तुओं को निशाना बनाकर किए जा रहे इजरायली हमलों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत पूरी तरह से अस्वीकार्य और गैरकानूनी मानता है। चीनी दूत फू कांग ने कहा कि इजरायल की कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों का उल्लंघन करती है, ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालती है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करती है।