By Ankit Jaiswal | Nov 26, 2025
हाल ही में चीन ने अमेरिकी सोयाबीन की एक साथ इतनी बड़ी खरीद की है कि वैश्विक बाजार में इस पर चर्चा तेज हो गई है। मौजूद जानकारी के अनुसार, चीन ने मंगलवार से अब तक अमेरिका से कम से कम 10 कार्गो सोयाबीन खरीद लिए हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग 300 मिलियन डॉलर बताई जा रही है। यह खरीद ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई थी।
बता दें कि दोनों देशों के बीच पिछले कुछ महीनों से व्यापारिक विवाद की स्थिति बनी रही थी, लेकिन हाल के हफ्तों में माहौल थोड़ा नरम पड़ा है। गौरतलब है कि ट्रंप ने इस बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने चीन से अमेरिकी सामान, खासकर कृषि उत्पादों की खरीद बढ़ाने का आग्रह किया, और शी ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
व्यापार सूत्रों के मुताबिक चीन ने 10 से 15 कार्गो खरीदे हैं जिनमें हर कार्गो करीब 60,000 से 65,000 मीट्रिक टन सोयाबीन का होता है। ये सभी कार्गो जनवरी में अमेरिकी गल्फ कोस्ट टर्मिनलों और पैसिफिक नॉर्थवेस्ट बंदरगाहों से भेजे जाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि चीन ने यह खरीद तब की है जब अमेरिकी सोयाबीन की कीमत ब्राजील की तुलना में ज्यादा है।
जानकारी के अनुसार अमेरिका से भेजे जाने वाले सोयाबीन की कीमत जनवरी फ्यूचर्स के मुकाबले गल्फ से $2.3 प्रति बुशेल और पैसिफिक नॉर्थवेस्ट से $2.2 प्रति बुशेल की प्रीमियम पर है, जबकि ब्राजील से यह कीमत सिर्फ $1.8 प्रति बुशेल है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी ऊंची कीमतों पर व्यावसायिक खरीददार आमतौर पर दूरी बनाए रखते हैं, क्योंकि इन स्तरों पर क्रश मार्जिन मजबूत नहीं रहते।
इसके बावजूद चीन की यह खरीद इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से चीन ने अमेरिका से सोयाबीन की खरीद लगभग रोक रखी थी। बता दें कि दक्षिण कोरिया में अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में हुई बातचीत के बाद से चीन ने धीरे-धीरे खरीद बढ़ाई है। सरकारी कंपनी COFCO अब तक लगभग 20 लाख टन अमेरिकी सोयाबीन बुक कर चुकी है।
हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से जिस 12 मिलियन टन खरीद की घोषणा की गई थी, उसके मुकाबले यह काफी कम है। पर मौजूद टिप्पणियों के अनुसार, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट का कहना है कि चीन की खरीद योजना तय समय पर चल रही है। उन्होंने बताया कि अगले तीन साल छह महीने में चीन द्वारा 87.5 मिलियन टन अमेरिकी सोयाबीन खरीदने का समझौता हुआ है, जो एक बड़ा लक्ष्य है और इसी दिशा में यह ताज़ा खरीद कदम के तौर पर देखी जा रही है।
कुल मिलाकर, दुनिया के दो सबसे बड़े आर्थिक देशों के बीच रिश्तों में थोड़ा सुधार दिखना शुरू हुआ है, और इस खरीद से कृषि बाजार में भी सकारात्मक हलचल पैदा हुई है, जो आने वाले महीनों में और बढ़ सकती है।