आम आदमी पार्टी के जन्मदिवस समारोह में शोकसभा जैसा नजारा था

By राकेश सैन | Dec 01, 2017

यह लिखते हुए मेरे हाथ जल जाएं कि परिवर्तन व अलग तरह की राजनीति का संकल्प लेकर उतरी आई आम आदमी पार्टी पर शिशुकाल में ही मौत का साया मंडराने लगा है। दुख होता है कि अन्ना हजारे के आंदोलन की बायोप्रोडक्ट 'आप' देश के राजनीतिक पटल पर आंधी की तरह छाई और अब तूफान की तरह वापसी करती दिख रही है। वह आंदोलन जिसने यूपीए की मनमोहन सरकार के कुशासन से उपजे जनाक्रोश को राष्ट्रीय अभिव्यक्ति दी। हजारों लोग रामलीला मैदान में दिन-रात जुटे, करोड़ों लोगों ने रात-रात भर जागकर आंदोलन की लाइव कवरेज इस बात पर मन मसोसते हुए देखी कि काश मैं भी रामलीला मैदान में जा पाता। पांच सालों में पार्टी एक्सीलेटर से वेंटीलेटर पर पहुंच गई है। पार्टी दिल्ली में सत्तारूढ़ दल के रूप में और पंजाब में विपक्ष में रहते हुए करिश्मा करना तो दूर, सामान्य संवैधानिक जिम्मेवारी निभाने में भी असमर्थ दिख रही है। 

पार्टी ने हाल ही में नई दिल्ली में अपना पांचवां स्थापना दिवस मनाया। जन्मदिवस समारोह में शोकसभा सा नजारा दिखा, क्योंकि कल तक जिस रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल की रैलियों में पैर रखने को भी जगह नहीं मिलती थी वहीं पांचवीं वर्षगांठ पर वालंटियरों के अभाव में पूरा मैदान भां-भां कर रहा था। अवसर था आत्मविश्लेषण का परंतु सभी नेताओं ने एक दूसरे को नीचा दिखाने की ओछी कोशिश की। कविहृदय कुमार विश्वास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री व पार्टी में सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि 'अगर चंद्रगुप्त को अहंकार हो जाए तो चाणक्य का फर्ज है कि वह उसे वापस भेज दे।' कुमार विश्वास के चंद्रगुप्त कौन हैं और कौन कौटिल्य यह बताने की आवश्यकता नहीं।

 

वाचालपन की पर्याय बनी 'आप' में कुमार विश्वास के इस आरोपों को प्रत्युत्तर न मिले यह तो संभव ही नहीं। उन्हें जवाब मिला भी और वह भी गोपाल राय नामक उस नेता से जिनको एक अवसर पर रालेगन आश्रम में बैठक के दौरान समाज सेवी अन्ना हजारे 'बाहर जाने' अंग्रेजी में कहें तो 'गेट आऊट' तक कह चुके हैं। गोपाल ने कहा, 'मीरजाफर अभी अंदर है, उसे बाहर निकालने की जरूरत है।' पार्टी में कुमार विश्वास को भाजपा-आरएसएस का आदमी कई बार सार्वजनिक मंचों पर घोषित किया जा चुका है और स्वाभाविक है कि मीरजाफर की उपाधि उन्हीं को दी गई। विवाद का ताजा मामला दिल्ली में राज्यसभा की सीट को लेकर बताया जा रहा है, जिस पर विश्वास सार्वजनिक रूप से आरोप लगा चुके हैं कि उन्हें पार्टी के ही लोग राज्यसभा जाने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। कुमार विश्वास लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हाथों हुई करारी पराजय की कीमत राज्यसभा की सदस्यता के रूप में वसूलना चाहते हैं। कल को प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार, मयंक गांधी, कपिल मिश्रा की पंक्ति में कुमार विश्वास भी खड़े दिखाई दें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। दिल्ली में सत्तारूढ़ दल के रूप में आम आदमी पार्टी की सरकार की कार्यप्रणाली की निंदा में बहुत कुछ कहा जा सकता है, इसको दोहराने की जरूरत नहीं। इसके लिए तो केवल एक उदाहरण देना ही काफी है कि आजकल दिल्ली उच्च न्यायालय व देश के सर्वोच्च न्यायालय का अधिकतर समय केजरीवाल सरकार को फटकारने में ही जाया हो रहा है। केजरीवाल के पीछे न वैसी भीड़ है न उनका वह नायकत्व बचा है। आम आदमी पार्टी इतनी जल्दी अपना नूर खो देगी, यह किसने सोचा था।

 

दिल्ली के बाद पार्टी के दूसरे गढ़ पंजाब की बात करते हैं जहां पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ी आम आदमी पार्टी व सहयोगी दल को 21 सीटों के साथ विपक्षी दल बनने का गौरव हासिल हुआ। पार्टी में अंतर्कलह इतना बढ़ा कि विपक्ष के नेता एडवोकेट एचएस फूलका ने चार-पांच महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया। इसके बाद सुखपाल सिंह खैहरा को विपक्ष का नेता बनाया गया जो कांग्रेस छोड़ कर 'आप' में शामिल हुए थे। निवर्तमान अकाली दल बादल व भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर नशे को संरक्षण व प्रोत्साहन देने के आरोप लगाने वाली 'आप' के विधायक व विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा को ही फाजिल्का की अदालत ने नशा तस्करों से संबंध रखने के आरोप में समन किया हुआ है। पंजाब के सीमावर्ती जिले फाजिल्का पुलिस ने पिछले साल एक बहुत बड़े अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह को गिरफ्तार किया था जिसके आरोपियों के साथ खैहरा के संबंध होने के आरोप हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इसको लेकर स्थानीय अदालत ने उनके खिलाफ आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 319 के तहत समन जारी किया है। निचली अदालत के समन को निरस्त करने की खैहरा की अपील पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय यह कहते हुए खारिज कर चुका है कि केस से जुड़े साक्ष्यों की अनदेखी नहीं की जा सकती। अर्थात उच्च न्यायालय को भी लगता है कि मामला गंभीर है। कहने का भाव कि विपक्ष में रहते हुए भी यहां आम आदमी पार्टी विरोधियों से बुरी तरह घिरी हुई व रक्षात्मक दिखाई दे रही है।

 

पंजाब विधानसभा चुनावों में पूर्व खालिस्तानी आतंकियों की मदद के आरोपों के चलते औंधे मुंह गिरी आप ने इस गलती से कुछ नहीं सीखा। राज्य में हाल ही में हुई आतंकी गतिविधियों के आरोप में पुलिस ने भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक जगतार सिंह जग्गी जौहल के रूप में कई लोगों को गिरफ्तार किया है। जग्गी जौहल को लेकर ब्रिटेन स्थित अलगाववादी संगठन होहल्ला मचा रहे हैं तो आम आदमी पार्टी ने भी इस शोरगुल में अपना सुर मिला दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सांसद भगवंत सिंह मान ने मानवाधिकार की दुहाई दे कर जौहल की रिहाई के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है। आतंकवाद का समर्थन करने व पार्टी के विधायक खैहरा के नशे के आरोप में घिरने के बाद पार्टी की खूब किरकिरी हो रही है और विभिन्न दलों को छोड़ कर अपने उज्ज्वल राजनीतिक भविष्य के लिए आम आदमी पार्टी में आए नेताओं ने घर वापसी शुरू कर दी है। विपक्ष के नेता खैहरा के संकट में पड़ते ही उनके पद पर उनके ही साथियों ने नजरें गड़ा दी हैं और एक आध नेता को छोड़ कर बाकी विधायकों ने खैहरा को किस्मत के सहारे छोड़ दिया है। कहने का भाव कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों रूप में पार्टी अभी तक तो जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरती दिखाई नहीं दे रही। मात्र पांच सालों में तेजी से उभरे एक राजनीतिक दल का इस तरह अल्पायु में अवसान होता है तो यह अध्याय भारतीय राजनीति के इतिहास में दु:खद घटना के रूप में याद किया जाएगा।

 

-राकेश सैन

 

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