कांग्रेस ने लगाया हवाईअड्डों पर एकाधिकार का आरोप, भाजपा ने कहा-पारदर्शिता सुनिश्चित की गयी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 15, 2020

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने देश में छह हवाईअड्डों के निजीकरण की जांच की मांग करते हुए राज्यसभा में मंगलवार को आरोप लगाया कि ऐसा नियम व कानूनों की धज्जियां उड़ाकर किया जा रहा है। वहीं भाजपा ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि मोदी शासनकाल में पूर्ण पारदर्शिता बरती जा रही है। वायुयान (संशोधन) विधेयक, 2020 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सदस्य के सी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार हवाईअड्डों के विकास करने के नाम पर उनका निजीकरण करके ‘भाई-भतीजावाद वाले पूंजीवाद’ को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, भारतीय हवाई अड्डों पर एकाधिकार कायम करने का प्रयास किया जा रहा है। भविष्य में, सभी भारतीय हवाईअड्डों पर केवल एक कंपनी का स्वामित्व होगा... आप इसे कैसे अनुमति दे सकते हैं ... हवाई अड्डों को किसी एक निजी कंपनी को सौंपने के लिए नियमों और कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है। यह सार्वजनिक धन का स्पष्ट रूप से घोटाला है। उन्होंने कहा, हम इस मामले में जांच की मांग करते हैं। यह भ्रष्टाचार का स्पष्ट मामला है। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार एक निजी संस्था का पक्ष लेने के लिए मानदंडों और दिशानिर्देशों को दरकिनार कर रही है और अपने स्वयं के मंत्रालयों द्वारा दी गई सलाह को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने कहा कि तकनीकी, वित्तीय और कानूनी पहलुओं के बारे में आर्थिक मामलों के विभाग और नीति आयोग की सिफारिशों को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा, ...अंतरराष्ट्रीय स्तर से भाई भतीजावाद वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। देश में हवाई अड्डों के एकाधिकार के लिए सरकार लाल कालीन बिछा रही है। उन्होंने कहा कि अब तक अदानी समूह ने अहमदाबाद, लखनऊ, बेंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम जैसे छह हवाई अड्डों के संचालन और विकास के लिए बोलियां जीती हैं। उन्होंने कहा कि जब विधेयक संसद में लंबित था, तब भी सरकार ने 18 दिसंबर, 2018 को छह हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए बोलियां मंगायी और बोली लगाने वाली कई कंपनियों ने आरोप लगाया कि बोलियों की समय सीमा काफी कम थी और बोली प्रस्ताव में कई विसंगतियां थीं। कांग्रेस सदस्य ने यह भी कहा कि राजस्थान और केरल की राज्य सरकारों की चिंताओं पर सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। राजस्थान और केरल दोनों ने जयपुर और तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डों के निजीकरण के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है, जिसके लिए राज्यों द्वारा जमीन दी गई थी। केरल विधानसभा ने तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के निजीकरण के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया है। उनके आरोप को खारिज करते हुए भाजपा सदस्य जीवीएल नरसिंह राव ने दावा किया कि हवाई अड्डों के विकास में पूरी पारदर्शिता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग शासन के दौरान ‘क्रोनी’ पूंजीवाद को बढ़ावा दिया गया था। उन्होंने अपने तर्क के पक्ष में 2-जी और कोयला नीलामी जैसे मुद्दों का हवाला दिया जिसमें अदालतों को हस्तक्षेप करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र में मोदी सरकार के तहत भारी बदलाव हुए हैं और पिछले पांच वर्षों में यात्री यातायात में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है। 

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राव ने कहा कि प्रधानमंत्री का उद्देश्य केवल अभिजात्य वर्ग के बजाय समाज के सभी वर्गों के लिए हवाई यात्रा को सुरक्षित और सुलभ बनाना है। भाजपा सदस्य ने सरकार के वंदे भारत मिशन की सराहना की जिसके तहत कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान दुनिया भर से 12.4 लाख भारतीयों को निकाला गया और एयर इंडिया ने सबसे बड़े निकासी अभियान’’ में करीब 2500 उड़ानें भरीं। राव ने कहा कि सरकार ने विमानन क्षेत्र के विस्तार के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है और देश में 12 हवाई अड्डों को विकसित करने और हवाई अड्डे के नेटवर्क और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 13,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत घरेलू नागरिक उड्डयन क्षेत्र में दुनिया में तीसरे स्थान पर है तथा अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात के मामले में चौथे:पांचवें स्थान पर है। तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने वंदे भारत मिशन की सराहना की और सरकार से एयर इंडिया को बेचने के स्थान पर इसका पुनर्गठन करने को कहा। उन्होंने कहा, अगर एयर इंडिया नहीं होती, तो निजी कंपनियां नहीं होती। एयर इंडिया बहुत अच्छी एयरलाइन है। आप इसके ढांचे को बदल सकते हैं, लेकिन कृपया इसे नहीं बेचें। इसे बेचने की योजना छोड़ दें। बीजद के प्रसन्न आचार्य ने कहा कि विधेयक में कई अच्छे प्रावधान किये गये हैं जिससे हम वर्ष 2024 तक दुनिया के तीसरे सबसे बड़े विमानन बाजार होंगे। 

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उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिये। पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल (राकांपा) ने दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में और अधिक हवाई अड्डे विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 2007 में जेवर हवाई अड्डे को मंजूरी दी गई थी और 2005 में नवी मुंबई को लेकिन दोनों को पूरा किया जाना बाकी है। उन्होंने यह भी जानने की कोशिश की कि उपलब्ध तकनीकी लोगों के मद्देनजर वैधानिक निकायों में नियुक्तियां कैसे होंगी। सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद ने सरकार को उसके वन्दे-भारत मिशन के लिए बधाई दी और साथ ही विमानन कंपनी को निजी हाथों में बेचे जाने के प्रयासों पर अफसोस जताया। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कोविड-19 महामारी के दौरान यात्री किराये में कई गुना वृद्धि की गई थी। द्रमुक के पी विल्सन ने चेन्नई में अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाईअड्डा बनाये जाने की मांग की। चर्चा में वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी, जद (यू) के आरसीपी सिंह, माकपा की झरना दास, भाकपा के विनय विश्वम, शिवसेना के अनिल देसाई, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने भी भाग लिया।

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