महाराष्ट्र में कांग्रेस का अकेले दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान, शिवसेना ने याद दिलाया 2019 में बीजेपी का हश्र

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 20, 2021

महाराष्ट्र में जब से महाविकास अघाड़ी सरकार बनी हैं तबसे ही लगातार चर्चाओं में घिरी रही है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में तीन पार्टियों शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी। इस सरकार के मंत्री तो शुरुआत से ही चर्चा का विषय रहे हैं लेकिन कई मौकों पर तीनों पार्टियां भी एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी नजर आई हैं।

 

अब ऐसे में हाल ही में कांग्रेस के अकेले दम पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताने के बाद राज्य में नए सियासी संग्राम को बल मिल गया है। इस मसले को लेकर शिवसेना और कांग्रेस दोनों आमने-सामने हैं। कांग्रेस की इस इच्छा पर शिवसेना ने पार्टी से कहा कि 2024 के चुनाव अभी दूर हैं और पार्टी से पूछा कि क्या मध्यावधि चुनाव कराने की कोई योजना है?

 

कांग्रेस को याद दिलाई सरकार में जगह

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि सभी राजनीतिक दलों अकेले चुनाव लड़ने की बात शुरु कर दी है ऐसे में शिवसेना और एनसीपी को महाराष्ट्र के हित के लिए साथ मिलकर चुनाव लड़ना होगा। साथ ही शिवसेना ने कांग्रेस को सरकार में उसकी जगह भी दिला दी है। पार्टी ने कहा कांग्रेस महत्वपूर्ण घटक दल है लेकिन तीसरे स्थान पर है। 

 

शिवसेना ने कहा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने ऐलान किया है कि पार्टी राज्य में अगला चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी। इसमें उसने ये भी बता दिया कि अगर पार्टी इसकी इजाजत देती है तो वो खुद मुख्मंत्री पद का चेहरा होंगे। पटोले 2024 में महाराष्ट्र में कांग्रेस का मुख्यमंत्री बनाए बगैर दम नहीं लेंगे। शिवसेना ने आगे कहा कि हालांकि एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा है कि जिसके पास 145 का बहुमत होगा वही अगले चुनाव में सरकार बनाएगा और मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करेगा। 

 

राजनीतिक आकांक्षाएं पालना गलत नहीं

शिवसेना ने कहा कि लोकतंत्र बहुमत का आंकड़ा जुटाने पर निर्भर है जो साबित करेगा वही अगली सरकार बनाएगा। पार्टी ने कहा कि राजनीतिक आकांक्षाएं पालना गलत नहीं है लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए संख्या बल की जरुरत होती है।

 

शिवसेना ने पिछले विधानसभा चुनाव में हुए बीजेपी के हश्र की भी कांग्रेस को याद दिला दी है। दअरसल पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि वो सत्ता में लौटेंगे लेकिन वो ऐसा नहीं कर सके। बीजेपी के 105 सीटें जीतने के बावजूद शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने गठबंधन सरकार बना ली थी। 


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