आकंठ तक भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस और लालू को मतदाताओं की चिंता

By योगेंद्र योगी | Aug 25, 2025

बिहार को बर्बादी के कगार पर धकेलने के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस को अब मतदाताओं के अधिकार और संविधान की चिंता सता रही है। लालू राज में जिस कदर संविधान की धज्जियां उड़ाई गई उससे न सिर्फ बिहार बल्कि विश्व में भी भारत की छवि खराब हुई। लालू की सत्ता के दौरान यह लगने लगा था कि भ्रष्टाचार और अपराधों के लिए कुख्यात रहा बिहार शेष भारत का हिस्सा है भी या नहीं। बिहार की दुर्गति के लिए कांग्रेस भी कम जिम्मेदार नहीं रही है। बिहार की सत्ता में कांग्रेस लालू यादव के साथ रही है। इन दोनों दलों द्वारा बिहार को दिए जंगलराज के जख्म अभी तक नासूर बने हुए हैं। राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद ने राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा पर कहा कि भाजपा संविधान को खत्म करना चाहती है और हम लोग ऐसा नहीं होने देंगे। हम लोगों ने बहुत कुर्बानियां दी है और आगे भी देते रहेंगे। लालू प्रसाद ने राहुल की यात्रा से पहले यह बात कही। आश्चर्य की बात यह है कि कुर्बानी की बात ऐसे नेता कर रहे हैं, जो भ्रष्टाचार और घोटालों के मामले में आकंठ तक डूबे रहे हैं। बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण और कथित वोट चोरी के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा की शुरूआत की है।   


यह यात्रा वोटर अधिकार के कम और बिहार के सत्ता संघर्ष के लिए ज्यादा है। इस यात्रा में लालू यादव की पार्टी और इंडिया गठबंधन के अन्य राजनीतिक दल शामिल होंगे। बिहार के मतदाताओं ने बड़ी मुश्किलों से लालू परिवार की सत्ता लोलुपता से पीछा छुड़ाया है। बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव कई घोटालों और विवादों में घिरे रहे हैं। चारा घोटाला, ज़मीन के बदले नौकरी का मामला, होटल टेंडर घोटाला और सोशल मीडिया पर दिए गए विवादित बयान जैसे मामले लगातार सुर्खियों में रहे। 900 करोड़ रुपये का चारा घोटाला बिहार का एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है। इसमें लालू प्रसाद यादव मुख्य आरोपी हैं। सीबीआई जांच के बाद, लालू यादव को कई मामलों में दोषी ठहराया गया और जेल भेजा गया। नौकरी के बदले जमीन घोटाला रेलवे भर्ती से जुड़ा एक भ्रष्टाचार का मामला है। आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए लोगों को नौकरी देने के बदले जमीन ली थी। सीबीआई और ईडी ने इसकी जांच की। इस मामले में लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया और अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए सज़ा सुनाई। यह मामला 2004-2009 का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने रेलवे के दो होटलों (रांची और पुरी) के संचालन का टेंडर एक कंपनी को दिलाने में अनियमितताएं कीं। बदले में, कथित तौर पर लालू की पारिवारिक कंपनी को ज़मीन और लाभ दिए गए। इस मामले में सीबीआई ने लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। यह मामला अभी भी अदालत में चल रहा है। लालू यादव के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट किया गया, जिसमें बिहार को बलात्कार से जोड़ते हुए लिखा गया था - बिहार = बलात्कार। इस पोस्ट के बाद राजनीतिक गलियारों में ज़बरदस्त हंगामा मच गया। विपक्षी दलों ने इसे बिहार और उसकी संस्कृति का अपमान बताया और लालू से माफ़ी की मांग की। लालू यादव ने सफाई देते हुए कहा कि अकाउंट हैक हो गया था और उन्होंने यह पोस्ट नहीं किया था। यह मामला काफ़ी समय तक सुर्खियों में रहा। लालू परिवार के ऐसे विवादित कारनामों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इन कारनामों में कांग्रेस प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर शामिल रही है।

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मतदाता सूची से नाम हटाए जाने का मुद्दा भी बिहार में सत्ता के घमासान से जुड़ा हुआ है। बिहार के साथ-साथ चुनाव आयोग ने कई राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की है। इसको लेकर कई विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना कर रही हैं और सरकार पर निशाना साध रही हैं। विपक्ष का मानना है कि एसआईआर के तहत सरकार वोट चोरी कर रही है और नागरिकों को उनके वोट देने के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। जबकि चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया से केवल उन्हीं लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं जो इसके पात्र नही हैं।   


इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रक्रिया को रोकने के लिए निर्देश देने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ने कहा कि जिन 65 लोगों के नामों को चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से बाहर किया है, उन सभी मतदाताओं के नाम निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक किए जाएं. जिसके बाद आयोग ने कहा कि वह सभी 65 लाख मतदाताओं के नाम और उन्हें हटाए जाने का कारण सार्वजनिक करेगी। राहुल गांधी की ये यात्रा असल में कांग्रेस को बिहार में मुख्य मुकाबले में लाने की जद्दोजहद है। विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद जिस तरह उत्तर प्रदेश में मुस्लिम-दलित वोट कांग्रेस से छिटककर क्षेत्रीय दलों सपा-बसपा के पाले में चला गया, वही कहानी बिहार में भी दिखी, जहां ज्यादातर मुस्लिमों ने आरजेडी को रहनुमा मान लिया और बाकी हिस्सा जेडीयू के पाले में चला गया। 1992 के बाद से यूपी की तरह बिहार में भी कांग्रेस का स्ट्राइक रेट निराशाजनक रहा है। महागठबंधन की हार ठीकरा भी कांग्रेस के लचर प्रदर्शन पर ही फूटता रहा है। इस कारण गठबंधन में कांग्रेस की सीटों का कोटा भी कम हुआ है। जबकि भाकपा माले जैसे छोटे दल ने बिहार चुनाव 2020 में 19 में से 16 सीटें जीतकर बड़े-बड़े दलों को आईना दिखाया था। पिछली बार कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें 19 पर जीत हुई थीं। चुनाव बाद कांग्रेस के लचर स्ट्राइक रेट की वजह से सरकार न बन पाने का आरोप भी आरजेडी ने कांग्रेस पर लगाया था। इस बार भी कांग्रेस 70 सीटों पर लडऩा चाहती है जबकि आरजेडी उसे 50 से ज्यादा सीटें नहीं देना चाहतीं। वोट अधिकार यात्रा के जरिए कांग्रेस शक्ति प्रदर्शन करके राजद पर सीटों पर दवाब बढ़ाना चाहती है। लालू यादव की पार्टी राजद हो या कांग्रेस, यह निश्चित है कि जब तक विपक्षी दल देश में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, लालफीताशाही, भाई-भतीजावाद और विकास जैसे मुद्दों पर चुनाव नहीं लड़ेगे तब तक सत्ता में आने का संघर्ष ख्वाब ही रहेगा। 


- योगेन्द्र योगी

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