कांग्रेस पार्टी फतेहपुर से भवानी सिंह को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में

By विजयेन्दर शर्मा | Aug 14, 2021

धर्मशाला---हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा में होने जा रहे फतेहपुर विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस पार्टी इस बार दिवंगत विधायक एंव पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया को मैदान में उतारने जा रही है। जिससे यहां चुनाव दिलचस्प हो गया है। सुजान सिंह यहां से सात बार चुनाव जीत चुके हैं। यही वजह है कि पार्टी उनके बेटे को चुनाव मैदान में उतार कर सहानूभूति लहर से चुनाव जीतने का ताना बाना बुन रही है।

 

दिवंगत सुजान सिंह पठानिया कांगडा जिला के कद्दावर  राजपूत नेता थे व कांग्रेस पार्टी में भी उनकी अलग पहचान रही है। कुछ माह पहले बीमारी की वजह से उनका देहांत हो गया था। जिसकी वजह से सीट खाली होने के बाद यहां उप चुनाव होने जा रहे है।  भवानी सिंह राजनिति में हाल ही में आये हैं। वह एक प्राईवेट बैंक में वाईस प्रेजीडेंट के पद पर थे। व उन्होंने अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया है। कांग्रेस पार्टी को लगता है कि इलाके में सुजान सिंह का खासा जनाधार रहा है व उनके बेटे को चुनाव मैदान में उतारा जाता है तो आसानी से सहानूभूति लहर पर चुनाव जीता जा सकता है।  कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चूंकि लोगों की सहानूभूति उनके परिवार के प्रति है। अगर उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लडना चाहे तो पार्टी के पास वह बेहतर स्थिती होगी।

 

खुद भवानी सिंह पठानिया भी कहते हैं कि उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी लोगों के दवाब की नजह से ही छोडी है। आम जनता व पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि मैं चुनाव लडू लिहाजा मैं चुनाव मैदान में हूं।  भवानी सिंह के इलाके में चुनावी दौरे हो रहे हैं । अपने चुनाव अभियान में भवानी सिंह अपने पिता की ओर से इलाके में कराये गये विकास को याद करवा रहे हैं। व कहते हैं कि हल्को के लोगों ने जिस तरीके से उनके पिता को हमेशा प्यार दिया उसी तरीके से इस बार भी उन्हें समर्थन दिया गया तो पार्टी की ही जीत होगी।  कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर व प्रभारी संजय दत्त ने इस बारे में लोगों की राय ली है। पार्टी ने पंजाब के विधायक गुरकीरत कोटली को प्रभार दिया है। उनके साथ हिमाचल के विधायक राजेन्दर राणा भी तैनात हैं।

 

कांगडा जिला के फतेहपुर में होने वाला यह उपचुनाव सत्तारूढ भाजपा के लिये खास अहमियत रखता है। हालांकि गुटबाजी के चलते भाजपा की राहें यहां इस बार भी आसान नहीं है। पिछले चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्दर मोदी पूर्व सांसद भाजपा के प्रत्याशी कृपाल परमार के समर्थन में चुनावी सभा करने आये थे। इसके बावजूद परमार चुनाव हार गये।  परमार तीसरे नंबर पर रहे।  इस बार भी परमार को भाजपा के बागी नेता बलदेव ठाकुर से चुनौती मिल रही है।  पिछली बार उन्होंने आजाद चुनाव लडा व भाजपा प्रत्याशी से अधिक मत हासिल कर सभी को चौंका दिया था। इस बार भी वह भाजपा के लिये सिरदर्द साबित हो रहे हैं। जिसके चलते पार्टी किसी तीसरे नेता को मैदान में उतारने पर भी मंथन कर रही है। 

 

डिलिमिटेशन से पहले फतेहपुर ज्वाली हल्के के तौर पर जाना जाता था। व यहां ब्रहम्ण मतदाताओं का प्रभाव था। जिसके चलते भाजपा ने राजन सुशांत के जरिये सुजान सिंह पठानिया को चुनौती दी। लेकिन अब हल्का बदला तो राजन सुशांत भी भाजपा से किनारा कर चुके हैं। व आम आदमी पार्टी में जाने के बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली है। पिछले चुनावों में सुशांत ने आजाद चुनाव लडा तो उन्हें महज 2787 वोट ही मिले थे।


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