बिहार चुनाव में कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक, शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे और शरद यादव के पुत्री पर लगाया दांव

By अंकित सिंह | Oct 15, 2020

बिहार में चुनावी हलचल तेज है। पहले और दूसरे चरण के लिए लगभग टिकटों का बंटवारा हो गया है। आखिरी चरण के लिए सभी दल अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर रहे है। इसी कड़ी में बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े राजनेताओं के बेटे-बेटियों व रिश्तेदारों को भी टिकट दिए जा रहे है। नया नाम पटना साहिब से पूर्व सांसद और भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा का है। कांग्रेस ने लव सिन्हा को पटना के बांकीपुर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। बांकीपुर से भाजपा के नितिन नवीन भी चुनावी मैदान में हैं। खास बात यह है कि बांकीसीट से ही प्लूलर्स पार्टी की अध्यक्षा पुष्पम प्रिया भी चुनाव लड़ रही हैं।

 

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पुष्पम चौधरी जदयू नेता विनोद कुमार चौधरी की बेटी हैं। हालांकि, वह अपनी खुद की पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरी हैं। लव सिन्हा कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। अपने पिता के रास्ते पर चलकर लव सिन्हा भी फिल्मी जगत में नाम कमाना चाहते थे। हालांकि वह अपनी बहन सोनाक्षी सिन्हा की तरह प्रसिद्धि नहीं पा सके। अब लव सिन्हा अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं। आपको बता दें कि भाजपा से नाराजगी के बाद शत्रुघ्न सिन्हा पिछले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने उन्हें पटना साहिब सीट से महागठबंधन का उम्मीदवार भी बनाया था पर वह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से चुनाव हार गए। शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से 2009 और 2014 में सांसद रह चुके हैं।

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इसी कड़ी में कांग्रेस ने अपने पाले में एक और बड़े राजनीतिक परिवार की विरासत को खुद से जोड़ा है। हम बात कर रहे है सुभाषिनी यादव की। सुभाषिनी यादव समाजवादी नेता शरद यादव की बेटी हैं। शरद यादव वरिष्ठ नेता रहे हैं। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। सुभाषिनी यादव अपने पिता शरद यादव की कर्मभूमि मधेपुरा जिला के बिहारीगंज से चुनाव लड़ सकते हैं। वह हाल फिलहाल में ही कांग्रेस में शामिल हुई है। सुभाषिनी यादव एमबीए पास है और सामाजिक कार्यों में रुचि लेती हैं। सुभाषिनी यादव की शादी हरियाणा के एक राजनीतिक परिवार में हुई है। हालांकि वह फिलहाल अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की इच्छुक हैं।

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बिहार में ऐसे कई नेता मिल जाएंगे जिनकी राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उनके बेटों को चुनावी मैदान में उतारा गया है। हालांकि वह अपने पिता की तरह कितना प्रभावकारी हो पाएंगे यह समय बताएगा। फिलहाल, बिहार विधानसभा का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। सभी पार्टियां चुनावी प्रचार प्रसार में जोर-शोर से जुटी हुई है। मुख्य मुकाबला महागठबंधन और एनडीए के बीच माना जा रहा है। हालांकि लोजपा ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिससे इस बार का यह चुनाव दिलचस्प हो गया है। अब देखना होगा कि बिहार की जनता किसे सीएम की कुर्सी सौपती है और किसे विपक्ष में बैठने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

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