फिर सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर कांग्रेस, कमलनाथ और गहलोत के बजट में दिखी झलक

By अभिनय आकाश | Jul 11, 2019

राम मंदिर, गाय और हिंदुत्व ये ऐसे विषय हैं जिसे आधिकारिक तौर पर भाजपा का कोर मुद्दा कहा जाता रहा है। वैसे तो राम मंदिर की आधारशिला रखे जाने के बाद राजीव गांधी ने अयोध्या से ही अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की और देश में ‘रामराज्य’ लाने का वादा किया था। लेकिन हिंदुत्व और राम मंदिर का मुद्दा कांग्रेस के हाथ से फिसल कर बदलते साल और परिस्थिति की वजह से भाजपा का सबसे अचूक हथियार बन गया इसका अंदाजा कांग्रेस को भी न लगा। जिसके बाद इसे वापस पाने की कवायद में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदिर-मंदिर जाना और माथे पर तिलक लगाना जैसे कई प्रयास किए। लेकिन भाजपा के प्रखर हिंदुत्व के सामने कांग्रेस हर बार फिसड्डी ही साबित हुई। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस शासित दो राज्यों में सफाया हो जाने के बाद एक बार फिर कांग्रेस हिंदुत्व और राम नाम के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहती है। बीते दिनों मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार ने अपना पहला पूर्णकालिक बजट पेश किया। जिसमें सॉफ्ट हिंदुत्व की झलक साफ देखी जा सकती है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में नंदी गाय आश्रयों की स्थापना करने की घोषणा की। वहीं मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने गौशाला बनाने के साथ-साथ राम वन गमन पथ को विकसित करने की घोषणा की है।

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गौरतलब है कि साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पशु कल्याण के साथ गोशाला का वादा भी किया था। जिसको पूरा करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पहले बजट में बेसहारा पशुओं की देखभाल के लिए हर ग्राम पंचायत में नंदी गाय आश्रयों की स्थापना करने की घोषणा की है। सीएम गहलोत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आवारा पशुओं की समस्या को लेकर लगातार किसानों द्वारा शिकायतें और विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। ऐसे में मुख्यमंत्री ने आवारा पशुओं से मुक्त राजस्थान बनाने के उद्देश्य से हर ग्राम पंचायत मुख्यालय में नंदी गाय आश्रय बनाने की बात कही। वहीं बात मध्य प्रदेश की करें तो मुख्यमंत्री कमलनाथ का बजट भी हिंदुत्व के सॉफ्ट वर्जन की तस्दीक कराता है।

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मध्य प्रदेश सरकार ने अपने ब़जट 2019-20 में गौ संरक्षण के लिए 1309 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इसके साथ ही प्रदेश के हर गांव में गौशाला खोलने का ऐलान किया गया है। मंदिर की जमीनों पर सरकारी निधि से गौशाला बनाई जाएंगी। इसके अलावा कमलनाथ सरकार ने पुजारियों के मानदेय में तीन गुना इजाफा करने का ऐलान भी किया। जिसके बाद राज्य सरकार के बजट को सॉफ्ट हिंदुत्व की झलक बताया जाने लगा। जिस पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के वित्तमंत्री तरुण भनोट ने कहा कि यह हमारी परंपरा है। मैं स्वयं हिंदू और ब्राह्मण हूं। अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है, यह काम हम नहीं करेंगे तो पाकिस्तान करेगा क्या।

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भाजपा के हार्ड हिंदुत्व वाले कार्ड के सामने कांग्रेस वैसे तो हमेशा से सेक्युलर कार्ड खेलती रही। लेकिन 2014 के बाद परिस्थितियां बदलीं, मोदी सरकार के सत्ता में काबिज होने और लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व को चुना। ‘हिंदुत्व’ इस शब्द ने अपने आप में बहुत सारी परिभाषा व विविधता को समाहित कर रखा है। इतिहासकारों की मानें तो वीर सावरकर इस शब्द के अग्रणी प्रयोगकर्ता हैं, लेकिन वीर सावरकर से पहले भी इस शब्द की अपने-अपने तरीकों से परिभाषाएं होती रही हैं। एक शब्द जिसे पहली बार कब और किसने प्रयोग किया इसकी जानकारी तो उपलब्ध नहीं लेकिन सियासत की फिजाओं में इसका प्रयोग अक्सर होता रहता है। यह शब्द है 'सॉफ्ट हिंदुत्व' जिसको अगर परिभाषित किया जाए तो इसका मतलब होता है, एक ऐसे हिंदुत्व का पालन जिसके कारण धर्मनिरपेक्षता वाली छवि को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे। बहरहाल, कांग्रेस फिर से सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड के सहारे लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद उठ खड़े होने की कवायद में लगी है। लेकिन जब लोगों के पास किसी भी चीज का ओरिजनल वर्जन मौजूद है तो वो किसी तरह की कार्बन कॉपी की ओर रूख करेगा या नहीं ये तो आने वाले वक्त में पता चलेगा।