By एकता | Jul 13, 2025
अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के एक महीने बाद, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया की उड़ान AI-171 के दोनों इंजनों को ईंधन पहुंचाने वाले स्विच बंद हो गए थे, जिससे पायलटों में भ्रम पैदा हो गया। इसके कुछ ही सेकंड बाद विमान अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, विमानन विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। वे AAIB की इस शुरुआती जांच से पूरी तरह सहमत नहीं दिख रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, उड़ान के दौरान सह-पायलट विमान उड़ा रहा था और कप्तान निगरानी कर रहा था। विमान ने दोपहर 1 बजकर 38 मिनट 39 सेकंड पर उड़ान भरी, और उसके एक सेकंड बाद ही, 180 नॉट्स की गति पर, दोनों इंजन के ईंधन 'कटऑफ स्विच' 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में चले गए। इसके ठीक बाद, 1 बजकर 39 मिनट 05 सेकंड पर एक पायलट ने आपातकालीन 'मे डे' संदेश दिया। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि उसने ईंधन क्यों बंद किया, तो दूसरे ने मना किया कि उसने ऐसा नहीं किया।
भारतीय वायुसेना (IAF) के पूर्व निदेशक संजीव कपूर ने एयर इंडिया विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताई है। इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए कपूर ने 15 पन्नों की इस रिपोर्ट को अधूरा बताया है और इसकी देरी पर भी सवाल उठाए हैं। कपूर का कहना है कि 'कोई भी पायलट 'मेडे' कॉल को हल्के में नहीं लेता,' जिसका मतलब है कि कुछ गंभीर हुआ है। उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों इंजन फेल हुए, लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि वे फेल कैसे हुए। उन्होंने AAIB के इस निष्कर्ष को 'बिल्कुल अजीब' बताया कि पायलट ने जानबूझकर ईंधन कट-ऑफ स्विच को सक्रिय किया होगा। कपूर ने कहा, 'एक समझदार पायलट उड़ान भरने के तुरंत बाद ऐसा क्यों करेगा?'
उन्होंने इस रिपोर्ट को जारी करने में लगे समय की भी आलोचना की। कपूर ने बताया कि कॉकपिट डेटा लगभग तीन हफ्ते पहले ही डाउनलोड कर लिया गया था। उनके अनुसार, 'इस रिपोर्ट को आने में 20 दिन लग गए, जो बहुत लंबा है। उनके पास सारा डेटा होने के बावजूद, इस रिपोर्ट में कहीं ज़्यादा विवरण होना चाहिए था।'
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA) ने शनिवार को एयर इंडिया विमान दुर्घटना की निष्पक्ष और तथ्य-आधारित जांच की मांग की है। एसोसिएशन का दावा है कि जांच की मौजूदा दिशा पायलट की गलती पर ज्यादा केंद्रित दिख रही है। ALPA इंडिया ने इस धारणा को खारिज करते हुए कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए उनके प्रतिनिधियों को जांच प्रक्रिया में पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया जाए।