कोरोना संकट: कैसे चलेगा संसद का मानसून सत्र? वर्चुअल बैठक बुलाए जाने को लेकर शुरू हुई मंत्रणा

By अंकित सिंह | Jun 10, 2020

देश में बढ़ते कोरोना संकट के बीच एक और समस्या खड़ी हो गई है। दरअसल यह समस्या देश के संसद को चलने को लेकर है। कोरोना संकट के बीच सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि संसद की कार्यवाही कैसे शुरू की जाए। मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए संसद की कार्यवाही को फिर से चालू करने को लेकर कई सवाल सामने आ रहे है। दरअसल कोरोना प्रोटोकॉल के तहत संसद सत्र के दौरान सामाजिक दूरी को बरकरार रखना मुश्किल काम साबित हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक ऐसा दावा किया जा रहा है कि मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए हाइब्रिड और वर्चुअल सत्र संचालन के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। एक साथ संसद भवन में इतने सांसदों का इकट्ठा होना किसी खतरे से कम नहीं है।

 

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संसद भवन के दोनों सदनों के अलावा कहीं और भी संसद की कार्यवाही चलाने की बात की जाए तो यह सेंट्रल हॉल और विज्ञान भवन में चलाया जा सकता है। परंतु यह दोनों भी इतने बड़े नहीं हैं कि सारे सांसदों की बैठने की व्यवस्था हो पाए। वह भी सामाजिक दूरी के प्रोटोकॉल के तहतष सूत्रों ने यह बताया है कि दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी हाइब्रिड या वर्चुअल से चलाने के लिए विकल्प तलाश रहे हैं। हाइब्रिड सत्र के तहत कुछ ही सांसदों को व्यक्तिगत तौर पर संसद भवन आने की अनुमति दी जाएगी जबकि शेष सांसद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संसद सत्र में हिस्सा ले सकेंगे। अगर संसद सत्र को हाइब्रिड सत्र के तहत चलाया जाता है तो इसमें सामाजिक दूरी को बरकरार रखने में कामयाबी हासिल हो सकती है।

 

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लेकिन हाइब्रिड सत्र के तहत सवाल सबसे बड़ा यही है कि आखिर किन सांसदों को संसद भवन में बुलाया जाएगा। अगर जरूरत के हिसाब से सांसदों को बुलाया जाए तो हर दिन संसद भवन को पूरी तरीके से सैनिटाइज करना होगा। ऐसे में खतरे की आशंका बरकरार रह सकती है। वर्चुअल तकनीक के जरिए संसद की कार्यवाही चलाई जाती है तो सभी सदस्य अपने घरों से इस बैठक में हिस्सा ले सकते हैं। परंतु सभी को विचार रखने का मौका कम ही मिल पाएगा और सामने वाले की बात भी उन तक सही तौर पर पहुंच नहीं पाएगी। इस पत्र को संचालित करने में स्पीकर को भी काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

 

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आपको बता दें कि कोरोना महामारी के कारण बजट सत्र को बीच में ही रोकना पड़ा था और संसद सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। मानसून सत्र जून-जुलाई में होता है। ऐसे में देखा जाए तो पीठासीन अधिकारियों के पास संसद सत्र की कार्यवाही किस तरीके से शुरू की जाए इसको लेकर विकल्प तलाशने का समय भी काफी कम है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा बुलाई गई बैठक में दोनों सदनों के महासचिव ने कहा के सेंट्रल हॉल और विज्ञान भवन में सामाजिक दूरी के साथ सभी सांसदों को बैठाना मुश्किल साबित हो सकता है। राज्यसभा में सामाजिक दूरी के नियम को पालन करते हुए सिर्फ 60 सदस्यों को ही बैठाया जा सकता है जबकि लोकसभा में भी तादाद कुछ यही रहने की उम्मीद है। सेंट्रल हॉल में 100 लोग ही बैठ सकते हैं। गैलरी में भी बैठाने की व्यवस्था की जाए तब भी सारे सांसदों के लिए व्यवस्थाएं कम पड़ सकती हैं।

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