By अभिनय आकाश | Dec 18, 2025
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री माणिकराव कोकाटे ने गुरुवार को उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्हें एक दिन पहले ही सभी मंत्री पद से हटा दिया गया था। नासिक की एक अदालत द्वारा 1995 के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आवास आरक्षण धोखाधड़ी मामले में कोकाटे और उनके भाई विजय की गिरफ्तारी वारंट जारी करने के बाद कोकाटे को उनके सभी मंत्री पद खो दिए गए। कोकाटे को राज्य के 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आरक्षण के तहत अपनी आय कम बताकर दो फ्लैट हासिल करने के आरोप में दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोकाटे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और आगे की कार्रवाई के लिए इसे राज्यपाल आचार्य देवव्रत को भेज दिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मंत्री माणिकराव कोकाटे ने बुधवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों में दोषी ठहराए जाने और दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। 67 वर्षीय कोकाटे ने निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में अपना कार्यकाल जारी रखने के लिए अपनी दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत आपराधिक मामले में दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाने वाले निर्वाचित प्रतिनिधियों को अयोग्य घोषित किया जाता है। कोकाटे की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अनिकेत निकम ने न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए याचिका का उल्लेख किया और कहा कि इस मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा के परिणामस्वरूप मंत्री पद से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
यह मामला 1989 से 1992 के बीच का है। राज्य सरकार ने जरूरतमंदो के लिए आवास योजना शुरू की। जरूरतमंद की परिभाषा थी, जिनकी वार्षिक आय 30 हजार रुपये से अधिक न हो। कोकाटे और उनके भाई विजय ने फ्लैट हासिल करने के लिए आय के संबंध में फर्जी हलफनामा दायर किया। आमदनी 30 हजार रुपये से कम बताई। दोनों को 1994 में नासिक में फ्लैट आवंटित किए गए। यानी उन्होंने EWS फ्लैट की पात्रता को लेकर झूठे दावे पेश किए थे। केस के रिकार्ड के मद्देनजर सत्र न्यायालय ने कोकाटे की सजा को कायम रखा। कोकाटे को IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (जाली दस्तावेज बनाना), 468 ( धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (बेईमानी से फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) में सजा सुनाई गई थी। अभियोजन पक्ष ने नासिक कोर्ट में फर्जीवाडे से जुड़े कई दस्तावेज पेश किए। जिन पर गौर करने के बाद निचली अदालत ने कोकाटे को राहत देने से इंकार कर दिया।