सृष्टि का सृजन और समय पर उसका संहार दोनों भगवान रुद्र के ही कार्य हैं

By शुभा दुबे | Jun 21, 2025

शैवगाम के अनुसार भगवान रुद्र के आठवें स्वरूप का नाम हर है। भगवान हर को सर्पभूषण कहा गया है। इसका अभिप्राय यह है कि मंगल और अमंगल सब कुछ ईश्वर शरीर में है। समय पर सृष्टि का सृजन और समय पर उसका संहार दोनों भगवान रुद्र के ही कार्य हैं। भगवान हर अपनी शरण में आने वाले भक्तों को आधिभौतिक, आधिदैविक, आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तपों से मुक्त कर देते हैं। इसलिए भगवान रुद्र का हर नाम भी सार्थक है। इनका पिनाक अपने भक्तों को अभय करने के लिए सदैव तत्पर रहता है।


जब भगवान शंकर के पुत्र स्कन्द ने तारकासुर को मार डाला, तब उसके तीनों पुत्रों को महान संताप हुआ। उन्होंने मेरु पर्वत की एक कंदरा में जाकर हजारों वर्षों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। ब्रह्माजी ने उन तीनों के वर मांगने पर उनके लिए स्वर्ण, चांदी और लौह के अजेय नगर का निर्माण करने के लिए मय दानव को आदेश दिया। इस प्रकार मय ने अपने तपो बल से तारकाक्ष के लिए स्वर्णमय, कमलाक्ष के लिए रजतमय और विद्युन्माली के लिए लौहमय− तीन प्रकार के उत्तम दुर्ग तैयार कर दिये। इन पुरों का भगवान हर के अतिरिक्त कोई भेदन नहीं कर सकता था। ब्रह्माजी के वरदान एवं शिवभक्ति के प्रभाव से तीनों असुर अजेय होकर देवताओं के लिए संतापकारी हो गये। इंद्रादि देवता उनके अत्याचार से पीड़ित होकर भटकने लगे।

इसे भी पढ़ें: Jagannath Temple: जगन्नाथ मंदिर से जुड़े ये रहस्य जानकर रह जाएंगे हैरान, 800 साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर

तारक पुत्रों के प्रभाव से दग्ध हुए सभी देवता ब्रह्माजी को साथ लेकर दुखी अवस्था में भगवान हर के पास गये। अंजुलि बांधकर उन सभी देवों ने नाना प्रकार के दिव्य स्तोत्रों द्वारा त्रिशूलधारी भगवान हर की स्तुति करते हुए कहा− महादेव! तारक के पुत्र तीनों भाइयों ने मिलकर इंद्र सहित सभी देवताओं को परास्त कर दिया है। उन्होंने संपूर्ण सिद्ध स्थानों को नष्ट भ्रष्ट कर दिया है। वे यज्ञ भागों को स्वयं ग्रहण करते हैं। सबके लिए कष्टकारी वे असुर जब तक सृष्टि का विनाश नहीं कर डालते, उसके पहले आप उनको नष्ट करने का कोई उपाय करें।


भगवान हर ने कहा− देवताओं! मैं तुम्हारे कष्टों से परिचित हूं। फिर भी मैं तारक पुत्रों का वध नहीं कर सकता हूं। जब तक वे असुर मेरे भक्त हैं मैं उन्हें कैसे मार सकता हूं। तारक पुत्रों के वध के लिए तुम लोगों को भगवान विष्णु के पास जाना चाहिए। जब वे दैत्य विष्णु माया के प्रभाव से धर्म विमुख हो जाएंगे तथा मेरी भक्ति का त्याग कर देंगे, तब मैं शर्व रुद्र के रूप में उन असुरों का संहार करके तुम लोगों को उनके अत्याचार से मुक्त करूंगा। आठवें हर रुद्र की आधिभौतिक मूर्ति काठमांडू (नेपाल) में पशुपतिनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। इसे यजमान मूर्ति कहते हैं।


शुभा दुबे

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी