ओलम्पिक में क्रिकेट (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | May 05, 2025

ओलम्पिक में हमारा असली राष्ट्रीय खेल यानी क्रिकेट भी शामिल कर लिया गया है। वैसे दिल से लिखूं तो मैं राजनीति को, विश्वगुरूओं का, यानी अपना राष्ट्रीय खेल मानता हूं। वह अलग बात है कि कागजों में हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है लेकिन असलीयत की पूछ कम ही होती है। पूछ उसकी होती हैं जहां पैसा खेल रहा हो और दूसरों को भी खिला रहा हो।  


ओलम्पिक के आयोजकों ने अगले आयोजन में क्रिकेट के ट्वेंटी ट्वेंटी फॉर्मेट को शामिल करने की पुष्टि कर दी है। इससे हर भारतीय की धड़कन बढ़ गई है। बताते हैं अंग्रेज़ों का यह खेल पहले भी ओलम्पिक में शामिल रहा है लेकिन बीच में कुछ खट्टे मीठे कड़वे कारणों से बाहर रहा। भारतीय राजनेताओं की तरह सिर्फ छ साल के लिए पार्टी से निष्कासित नहीं बलिक एक सौ अठ्ठाइस साल के निष्कासन के बाद वापसी हो रही है।

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ओलम्पिक में महिला और पुरुषों का मुकाबला अलग अलग होगा। वैसे कितना रोमांचक होता अगर महिला और पुरुष मिलजुल कर खेलते। यह एक नया अंदाज़ होता। अब क्रिकेट के दीवाने और बढ़ेंगे। फिलहाल तो गली गली बल्ला घुमाया जा रहा है। संभव है हर मकान की छत पर बॉल कूदने फांदने लगे। ऐसा भी हो सकता है कि देश के हर बच्चे, युवा के लिए पढ़ाई के साथ क्रिकेट ज़रूरी किया जाए। वैसे तो हर स्कूल में क्रिकेट भी खेला जाता है। हो सकता है शिक्षा विभाग द्वारा हर शिक्षा संस्थान में रोजाना एक पीरियड सिर्फ क्रिकेट का होना लाज़मी कर दिया जाए। कुछ और आए न आए क्रिकेट बारे गहन जानकारी कानूनन ज़रूरी हो जाए। 

  

अब हमारा गोल ओलम्पिक में स्थायी विजेता बने रहना होगा। इस सन्दर्भ में हम दूसरे खेलों में जीत सकने वाले कम पदकों को भूल जाने वाले हैं। वैसे भी हम, उन कम को, ज्यादा समझते हैं। हो सकता है सरकार भविष्य में क्रिकेट मंत्रालय खोलने की घोषणा कर दे। क्रिकेट के आयोजन, अब चुनावों से भी ज्यादा होने संभावित हो जाएंगे। वैसे तो एक देश एक चुनाव शीघ्र होने वाला है। खिलाडियों की कीमत और बढ़ जाएगी। ऐसा भी हो सकता है कि मैच में प्रदर्शन के हिसाब से यानी एक एक रन के हिसाब से भुगतान किया जाए। चौकों और छक्कों के रेट किसी को बताए न जाएं। हो सकता है इससे आयोजकों के पैसे बच निकलें क्यूंकि पहले खरीदे गए या बिके कुछ खिलाडियों के प्रदर्शन की दयनीय हालत हमने देख ली है। कहने का मतलब इससे खेल में अनुशासन बढेगा।


ओलम्पिक क्रिकेट में हमेशा विश्वविजेता बने रहने का संकल्प ले लिया गया है क्यूंकि इस खेल में कोई और गलती से भी जीत जाए तो यह हमें हजम नहीं होता। वह बात दीगर है कि दूसरी टीमों के खिलाड़ी सिर्फ खेलने नहीं, जीतने भी आते हैं। आइए एक दूसरे को शुभ कामनाएं दें।


- संतोष उत्सुक

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