By अनन्या मिश्रा | Nov 21, 2025
आज ही के दिन यानी की 21 नवंबर को देश के महान वैज्ञानिक सीवी रमन का निधन हो गया था। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय योगदान दिए हैं। लेकिन रमन प्रभाव सबसे ज्यादा अहम है। डॉ सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार उनके जीवन के आधे पड़ाव पर ही मिल गया था। सीवी रमन ने अपना पूरा जीवन देश में विज्ञान और उसकी शिक्षा के लिए लगा दिया। सीवी रमन एक कर्मठ, समर्पति वैज्ञानिक, शिक्षक और देशभक्त के रूप में कार्य करते रहे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ सीवी रमन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
ब्रिटिश इंडिया की मद्रास प्रेसिडेंसी के तिरुचिरापल्ली में 07 नवंबर 1888 को चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम चंद्रशेखर रामनाथन अय्यर था और मां का नाम पार्वती अम्मल था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। रमन पढ़ाई करने में काफी तेज थे। उन्होंने महज 11 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा दी और पहली पोजिशन पाया। वहीं साल 1903 में 14 साल की उम्र में सीवी रमन को हॉस्टल भेज दिया गया। उन्होंने मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। उनको बचपन से ही भौतिकी में काफी रुचि थी। साल 1904 में उन्होंने डिग्री हासिल की और फिजिक्स और इंग्लिश में मेडल दिया गया था।
सीवी रमन उन वैज्ञानिकों में नहीं थे, जो सिर्फ अपने प्रयोगों में डूबे रहते थे। साल 1926 में उन्होंने इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 1933 में बेंगलुरू में भारतीय विज्ञान संस्थान के पहले निदेशक का पद संभाला। फिर इसी साल उन्होंने भारतीय विज्ञान अकादमी की स्थापना भी की। साल 1948 में सीवी रमन के भारतीय विज्ञान संस्थान से सेवानिवृत्त होने के एक साल बाद उन्होंने रमन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। फिर साल 1970 तक वह इसी संस्थान में सक्रिय रहे।
बता दें कि रमन ने जीवनभर में कई खास खनिज, पत्थर और अन्य पदार्थ जमा किए। उन्होंने प्रकाश प्रकीर्णन गुणों के लिए एकत्र किया था। जिनमें से कुछ उन्होंने खुद तलाश किए थे। तो कुछ उनको उपहार के रूप में मिले थे। सीवी रमन अपने साथ हमेशा एक छोटा स्पैक्ट्रोस्कोप रखा करते थे। इसको आज भी आईआईएससी में देखा जा सकता है।
वहीं 21 नवंबर 1970 को 82 साल की उम्र में सीवी रमन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।