By अनन्या मिश्रा | Nov 07, 2025
महान वैज्ञानिक सीवी रमन का आज ही के दिन यानी की 07 नवंबर को जन्म हुआ था। सीवी रमन का योगदान आधुनिक विज्ञान में भी अहम स्थान रहता है। वैसे तो सीवी रमन को 'रमन प्रभाव' के लिए जाना जाता है। जिसके लिए उनको नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया था। सीवी रमन के सिद्धांत ने स्पैक्ट्रोमैट्री के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिया है, जो वर्तमान के अंतरिक्ष विज्ञान के शोध में काफी काम आता है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सीवी रमन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में 07 नवंबर 1888 को सीवी रमन का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन था। सीवी रमन के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। इसी कारण उनके जीवन में शुरूआती स्तर पर विज्ञान के प्रति रुचि जगी। सीवी रमन ने अपनी शुरूआती शिक्षा घर पर पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया। साल 1904 में भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और पूरे मद्रास यूनिवर्सिटी में फर्स्ट स्थान प्राप्त किया था। बाद में उन्होंने एम ए की पढ़ाई की और यहीं से सीवी रमन के वैज्ञानिक सफर की शुरूआत हुई।
बता दें कि डॉ सीवी रमन की सबसे बड़ी खोज 'रमन प्रभाव' के रूप में जानी जाती है। जिसके लिए उनको साल 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। रमन प्रभाव वह घटना है, जिसमें प्रकाश की किरणें जब किसी पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरती है, तो उसकी तरंग दैर्ध्य में बदल जाता है। सीवी रमन की इस खोज ने वैज्ञानिकों को परमाणुओं और अणुओं की संचरना को समझने का नया तरीका दिया। सीवी रमन की यह खोज आधुनिक भौतिकी में क्रांति थी और इसको विज्ञान क्षेत्र में असाधारण योगदान माना जाता है।
डॉ सीवी रमन ने अपनी खोज के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कोलकाता के इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस में शोध किया और अपनी खोज को वहां के स्टूडेंट्स और वैज्ञानिकों के साथ साझा किया। फिर बाद में वह बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में भौतिकी विभाग के प्रमुख बने। वही साल 1948 में सीवी रमन ने 'रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट' की स्थापना की।
डॉ रमन का मानना था कि विज्ञान में शिक्षा और अनुसंधान दोनों का एक समान महत्व है। उन्होंने भारत में विज्ञान के प्रति लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किए। इसके अलावा डॉ रमन ने भारतीय स्टूडेंट्स और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाने का अवसर प्रदान किया।
वहीं 21 नवंबर 1970 को 82 साल की उम्र में डॉ सीवी रमन ने अंतिम सांस ली।