किम की सनक से कोरियाई प्रायद्वीप ही नहीं विश्व के सामने भी संकट

By राहुल लाल | Sep 08, 2017

मिसाइल परीक्षणों, परमाणु कार्यक्रमों, आर्थिक प्रतिबंधों एवं धमकियों से परिपूर्ण उत्तर कोरिया संकट दिनोंदिन गहराता ही जा रहा है। संपूर्ण वैश्विक दबाव से बेपरवाह उत्तर कोरिया ने रविवार (3 सितंबर)को अपना 6ठा परमाणु परीक्षण कर संपूर्ण विश्व को चौंका दिया। यह हाइड्रोजन बम है, जो परमाणु बम से कई गुणा ज्यादा खतरनाक है। ऐसी स्थिति में कोरियाई संकट केवल कोरियाई प्रायद्वीप का संकट न रहकर वैश्विक संकट बन गया है। लंबी दूरी की मिसाइलों में लोड किए जा सकने वाले शक्तिशाली हाइड्रोजन बम के परीक्षण ने पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। भारत सहित अमेरिका, चीन, रूस, जापान जैसे देशों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है, वहीं दक्षिण कोरिया ने अपने सैनिकों को अलर्ट कर दिया है। कोरियाई संकट ऐसी गुत्थी बनता जा रहा है, जिसे जितना सुलझाने का प्रयत्न किया जा रहा है, मामला उतना ही उलझता जा रहा है। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। रविवार को उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण के बाद से स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। इस समय युद्ध की आशंका पिछले कुछ दशकों में सर्वाधिक है। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यास के शक्ति प्रदर्शन को उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण कर जवाब दिया है।

उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनातनी लंबे समय से चल रही है, लेकिन पिछले कुछ सप्ताह से ऐसी आशंकाएँ गहन हो गयी हैं कि उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच युद्ध हो सकता है, जिसमें परमाणु हथियारों का प्रयोग भी संभव है। उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों के बाद जब अमेरिका को धमकी दी, तो ट्रंप ने उत्तर कोरिया को भस्म करने की धमकी दी। इसके प्रत्युत्तर में उत्तर कोरिया ने अमरीकी द्वीप "गुआम" पर हमले की तैयारी कर ली।

 

1945 में जापान पर परमाणु बम गिरने के 72 वर्ष बाद दुनिया पुन: परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। हथियार परीक्षणों के खिलाफ पूरी दुनिया के एकजुट होने के बावजूद उत्तर कोरिया कोई दबाव मानने को तैयार नहीं है। उसने जुलाई में मध्यम दूरी की दो मिसाइलों का परीक्षण किया था, जबकि एक परीक्षण 29 अगस्त को ही किया था। नई मिसाइल की मारक क्षमता 10 हजार किलोमीटर आंकी गई थी। अभी तो विश्व में इसी मिसाइल की चर्चा शांत नहीं हुई थी कि उत्तर कोरिया ने रविवार को छठा परमाणु परीक्षण कर डाला।

 

आखिर परमाणु बम और हाइड्रोजन बम में क्या अंतर है? क्यों हाइड्रोजन बम परमाणु बम से ज्यादा खतरनाक है?

 

परमाणु बम नाभिकीय विखंडन पर आधारित होता है, जबकि हाइड्रोजन बम परमाणु संलयन तकनीक पर आधारित होता है। परमाणु विखंडन में जहाँ परमाणु के नाभिक को तोड़ कर भारी ऊर्जा प्राप्त की जाती है, वहीं हाइड्रोजन बम की तकनीक परमाणु बम से भी काफी जटिल होती है। परमाणु विखंडन में यूरोनियम या प्लूटोनियम के परमाणुओं का हल्के तत्वों में विखंडित होने से भारी ऊर्जा प्राप्त की जाती है। वहीं हाइड्रोजन बम में दो हल्के परमाणुओं के मिलने से जब एक भारी तत्व बनता है तब बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकलती है। इस प्रक्रिया के तहत ही सूर्य की सतह पर ऊर्जा का उत्पादन होता है। नाभिकीय संलयन में उच्चतर ताप और दबाव की आवश्यकता होती है, इसलिए इसमें प्रथमतः नाभिकीय विखंडन का प्रयोग होता है, जबकि द्वितीय चरण में संलयन। इसमें हाइड्रोजन के दो समस्थानिक ट्राइटियम और ड्यूटेरियम में फ्यूजन (संलयन) होता है। इसी संलयन से अत्यधिक शक्तिशाली और विनाशकारी विस्फोट होता है। परमाणु बम एक तरह से हाइड्रोजन बम के लिए ट्रिगर का कार्य करता है। यही कारण है कि हाइड्रोजन बम, परमाणु बम से काफी ज्यादा संहारक होता है।


नागासाकी पर गिराये परमाणु बम से 5 गुणा ज्यादा शक्तिशाली उत्तर कोरियाई बम

 

दक्षिण कोरिया की सरकारी समाचार सेवा योनहैप के अनुसार उत्तर कोरिया ने रविवार (3 सितंबर) को जिस परमाणु बम का परीक्षण किया है वो जापान के नागासाकी पर गिराए गए बम से 4-5 गुणा शक्तिशाली है। सितंबर 2016 के परमाणु परीक्षण से 10 किलोटन ऊर्जा उत्पन्न हुई थी, जबकि रविवार के परमाणु परीक्षण से 100 किलोटन ऊर्जा उत्पन्न हुई है।

 

उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र के कठोर प्रतिबंध

 

विश्व समुदाय के दबाव की लगातार अवहेलना कर उत्तर कोरिया जिस तरह लंबी दूरी के महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, उसके प्रत्युत्तर में अमेरिका ने उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा कठोर प्रतिबंध आरोपित कर दिए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध पूर्ण सहमति से लगा। इस प्रतिबंध पर न तो रूस और न ही चीन ने वीटो का प्रयोग किया। लंबे अरसे बाद इसे ट्रंप की कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा सकता है। ट्रंप ने लंबे समय तक चीन से वार्ता करने के बाद यह सहमति प्राप्त की।

 

ज्ञात हो चीन और रूस ही उत्तर कोरिया के सबसे बड़े व्यापार साझीदार हैं। उत्तर कोरिया का 89% व्यापार चीन के साथ है, जबकि रूस द्वितीय सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। ऐसे में चीन और रूस के बिना पूर्ण सहयोग के उत्तर कोरिया पर कोई भी प्रतिबंध अधूरी होगा। ये नए प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर वर्ष 2006 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने के बाद से लेकर अब तक 7वीं बार लगाए जाने वाले प्रतिबंध होंगे। नए प्रतिबंध के अंतर्गत उत्तर कोरिया के जो जहाज संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए पाए जाएंगे, उन्हें सभी बंदरगाहों में प्रवेश करने से वर्जित कर दिया गया। लेकिन इन प्रतिबंधों के बावजूद जिस तरह उत्तर कोरिया ने 28 अगस्त को मिसाइल परीक्षण तथा 4 सितंबर को परमाणु परीक्षण किया है, उससे स्पष्ट है कि उपरोक्त प्रतिबंध बिल्कुल प्रभावहीन दिख रहे हैं।

 

उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण का इतिहास और वर्तमान

 

उत्तर कोरिया ने 9 अक्टूबर 2006 को प्रथम परमाणु परीक्षण किया था, जबकि 5वाँ परमाणु परीक्षण सितंबर 2016 में किया था। प्रथम परमाणु परीक्षण से 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जबकि रविवार 4 सितंबर के परमाणु परीक्षण से रिक्टर पैमाने पर 6.3 के भूकंप की तीव्रता मापी गई। इससे स्पष्ट है कि इन 11 वर्षों में उत्तर कोरिया ने परमाणु बम तकनीक में जबरदस्त सफलता प्राप्त की है। उत्तर कोरिया इससे पहले 2006, 2009, 2013 और 2016 में परमाणु बमों का परीक्षण कर चुका है।

 

उत्तर कोरिया के रविवार के परमाणु परीक्षण से दक्षिण कोरिया, रूस और जापान तक में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रविवार का धमाका इतना तीव्र था कि इसका कंपन रूस के पूर्वी शहर व्लादिवोस्टक तक महसूस किया गया। उत्तर कोरिया का दावा है कि हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया गया है। जैसा मैंने पहले ही स्पष्ट किया है कि हाइड्रोजन बम परमाणु बम से बहुत अधिक शक्तिशाली होता है। 6.3 तीव्रता के भूकंप से ही स्पष्ट है कि उत्तर कोरिया ने बेहद शक्तिशाली परमाणु बम का परीक्षण किया है।

 

उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण से भड़का अमेरिका

 

उत्तर कोरिया के परमाणु बम परीक्षण पर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अमेरिकी रक्षा मंत्री जैम्स मैटिस ने कहा है कि अमेरिका या उसके सहयोगियों पर उत्तर कोरिया की तरफ से किसी भी तरह के खतरे का जवाब कड़ी सैन्य कार्यवाही से दिया जायेगा। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि वो ऐसे किसी भी देश के साथ व्यापारिक रिश्तों को खत्म कर देंगे, जो उत्तर कोरिया से व्यापार करेगा। ''ये परीक्षण उकसाने वाली कार्रवाई है और अमेरिका के लिए खतरनाक है।''

 

आर्थिक प्रतिबंधों से भड़का था उत्तर कोरिया और ट्रंप ने दी थी भस्म करने की धमकी

 

अमेरिका को उम्मीद थी कि सर्वसहमति से लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध से उत्तर कोरिया को वार्तालाप की मेज पर लाने में मदद मिलेगी। इससे कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने के प्रयासों को बल मिलेगा, परंतु हुआ बिल्कुल उल्टा। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया और भी भड़क गया। उत्तर कोरिया ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र की ओर से नई पाबंदी लगाए जाने का जवाब देगा और "अमेरिका को इसकी कीमत" चुकानी होगी। उत्तर कोरिया ने इसे "अपनी संप्रभुता का हिंसक हनन" बताया है। उत्तर कोरिया की धमकियों के बाद ट्रंप का गुस्सा फूटा और उन्होंने उत्तर कोरिया को भस्म करने की धमकी दी। ट्रंप ने पिछले माह कहा था कि उत्तर कोरिया के लिए अच्छा होगा कि वह अमेरिका को बार-बार धमकी देना बंद करे। ''वह गुस्से की आग में जलकर भस्म हो जाएगा। उत्तर कोरिया पर इतनी गोलीबारी होगी जो दुनिया ने कभी नहीं देखी होगी।" ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि "अमेरिका का परमाणु जखीरा इस समय जितना आधुनिक और मजबूत है, उतना पहले कभी नहीं रहा था। आशा है इसके इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी।"

 

ट्रंप की चेतावनी के बाद उत्तर कोरिया ने "गुआम द्वीप" पर हमले की धमकी दी

 

अमेरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की चेतावनी के कुछ ही घंटों के बाद उत्तर कोरिया ने गुआम पर मिसाइल से हमले की धमकी दे डाली। उत्तर कोरिया का कहना है कि वह अमेरिकी पैसिफिक क्षेत्र के द्वीप गुआम में मिसाइल हमले पर विचार कर रहा है। गुआम पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक अमेरिकी द्वीप है। करीब पौनै 2 लाख की आबादी वाले इस द्वीप में अमेरिका का एक बड़ा सैन्य अड्डा भी है। वैसे गुआम के गवर्नर एडी काल्वो ने हमले की आशंका को अस्वीकार किया है। उत्तर कोरियाई सैन्य प्रवक्ता के अनुसार नेता किम जोंग उन का आदेश मिलते ही अमरीकी द्वीप पर हमला कर दिया जाएगा। इसमें उत्तर कोरिया में ही बनी मिसाइल ह्वावासोंग-12 का प्रयोग किया जा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उत्तर कोरिया को भस्म कर देने के बयान तथा अमरीकी सेना के गुआम में सैन्य अभ्यास के बाद उत्तर कोरिया के इस आक्रामक बयान से स्थिति और बिगड़ गई। अमेरिका का एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम "थाड "गुआम में सक्रिय है। यह दुश्मनों की बैलेस्टिक मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने में सक्षम है। गुआम अमेरिका का प्रमुख एयर और नेवल बेस है।

 

गुआम पर ही उत्तर कोरिया हमला क्यों करना चाहता है?

 

भारत से करीब 7 हजार किमी दूर छोटा अमरीकी द्वीप गुआम उत्तर कोरिया के निशाने पर आने के बाद संपूर्ण विश्व में चर्चा में है। अमेरिका से गुआम की दूरी करीब 11 हजार किमी है, जबकि उत्तर कोरिया से दूरी 3430 किमी है। इस प्रकार गुआम उत्तर कोरिया की पूर्णत: पहुँच में है। यह द्वीप 541 वर्ग किमी फैला है तथा अमेरिका के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पौने दो लाख आबादी वाले इस द्वीप के 29% हिस्से का प्रयोग अमेरिकी सेना करती है। यहाँ एंडरसन एयरफोर्स बेस और नौसेन्य बेस है। यहाँ बी-1, बी-2 और बी-5 बमवर्षक विमानों का जखीरा है। 1989 में स्पेन से युद्ध के बाद अमेरिका ने इस द्वीप पर कब्जा किया था। यहां के लोगों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त है, लेकिन वे राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते। अभी यहाँ 6 हजार सैनिक तैनात हैं, जिसकी संख्या में अमेरिका और भी वृद्धि करना चाह रहा है।

 

गुआम का रणनीतिक महत्व

 

इस द्वीप की मदद से अमेरिकी पहुँच दक्षिण चीन सागर, कोरिया और ताइवान तक है। गुआम ऐसी जगह पर है, जहाँ से दक्षिण चीन सागर में चीन वर्चस्व पर अमेरिका महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है। इस तरह गुआम पर हमले की धमकी देकर उत्तर कोरिया एक तीर से कई शिकार कर रहा है।

 

कोरियाई प्रायद्वीप में शांति के लिए चीन और रूस का सहयोग महत्वपूर्ण

 

उत्तर कोरिया के परमाणु व मिसाइल कार्यक्रम के विकास में चीन तथा रूस की महत्वपूर्ण भूमिका है। चीन और रूस ने आर्थिक प्रतिबंधों पर भले ही अपनी सर्वसहमति लगा दी है, परंतु वास्तव में स्थिति इतनी सरल नहीं है। उत्तर कोरिया के तेवर से स्पष्ट है कि चीन और रूस दोनों देशों का आंतरिक समर्थन उत्तर कोरिया को प्राप्त है। "गुआम" पर ही उत्तर कोरिया के हमले की धमकी के पीछे चीनी रणनीतिकारों के खड़े रहने की मंशा स्पष्ट रूप से दिख रही है। चीन अभी "डोकलाम" मामले पर भारत से दबाव में है, वहीं दक्षिण चीन सागर में बार-बार चीनी वर्चस्व को अमेरिकी चुनौती मिल रही है। अमेरिका द्वारा दक्षिण चीन सागर में चुनौती देने में "गुआम" द्वीप का महत्वपूर्ण योगदान है। इस तरह चीन उत्तर कोरिया की धमकी द्वारा अमेरिका को "गुआम" में उलझाकर रखना चाहता है। उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के कारण संकट खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है।

 

पहले उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा था। लेकिन हाल ही में जापानी सरकार के श्वेतपत्र में उत्तर कोरिया के पास छोटे परमाणु हथियारों की पुष्टि हुई है। जापानी श्वेतपत्र के अनुसार उत्तर कोरिया इन्हें लंबी दूरी की मिसाइलों में फिट कर सकता है। अमेरिकी अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है। दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून जेइ इन ने उत्तर कोरिया के साथ सदैव वार्ता कर मामले को निपटाने की बात कही तथा प्रयास भी किया। परंतु ट्रंप के अड़ियल रवैये तथा चीन के उकसावे पूर्ण नीति ने संपूर्ण कोरियाई प्रायद्वीप को तनाव के उच्चतम स्तर चरम पर पहुँचा दिया है, जहाँ परमाणु हमला भी संभव है। विश्व बिरादरी में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुके उत्तर कोरिया के नेताओं को लगता है कि परमाणु ताकत ही वह दीवार है जो उन्हें बर्बाद करने पर तुली दुनिया से बचा सकती है।

 

दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे इन ने उत्तर कोरिया से युद्ध हर हाल में टालने की बात की। मून के अनुसार चाहे कितना भी उतार-चढ़ाव आएं, हम मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे। मानवता की रक्षा के लिए विश्व समुदाय को जहाँ दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति को उत्तर कोरिया से वार्ता के लिए पूर्ण समर्थन प्रदान करना चाहिए, वहीं महाशक्तियों विशेषकर अमेरिका, चीन रूस को इस संपूर्ण मामले में सहृदय सहयोग देना चाहिए। इस मामले के सैन्य समाधान से संपूर्ण विश्व परमाणु युद्ध की चपेटे में आ सकता है। इसलिए आर्थिक प्रतिबंध और कूटनीतिक वार्ता पर जोर ही एकमात्र समाधान  है। सच तो यही है कि उत्तर कोरियाई हाइड्रोजन बम परीक्षण से परमाणु निशस्त्रीकरण को भी गंभीर झटका लगा है। इस संपूर्ण प्रकरण में महाशक्तियों के निहित स्वार्थों से संपूर्ण मानवता के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।

 

राहुल लाल

(लेखक अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ हैं।)

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