By रेनू तिवारी | Jul 10, 2025
वडोदरा में पादरा तालुका के मुजपुर और गंभीरा गांवों के बीच माही नदी पर बने गंभीरा पुल के बुधवार सुबह ढह जाने से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद यह बात सामने आई है कि 1986 में बने इस पुल की असुरक्षित स्थिति के बारे में स्थानीय नेताओं द्वारा की गई कई शिकायतों को अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया।
तीन साल पहले, वडोदरा ज़िला पंचायत के सदस्य, हर्षद सिंह परमार, जो मुजपुर गाँव के निवासी हैं, ने सड़क एवं भवन (आर एंड बी) विभाग को पत्र लिखकर कहा था कि यह जर्जर पुल जन सुरक्षा के लिए ख़तरा है। अगस्त 2022 में, परमार ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे पुल को तुरंत असुरक्षित घोषित करें, दुर्घटना रोकने के लिए इसे वाहनों के लिए बंद कर दें और तुरंत एक नया पुल बनाने की प्रक्रिया शुरू करें। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
बुधवार सुबह पादरा कस्बे के निकट गंभीरा गांव के पास चार दशक पुराने पुल का एक हिस्सा ढह जाने से कई वाहन महिसागर नदी में गिर गए। वडोदरा जिले के पुलिस अधीक्षक रोहन आनंद ने बताया, ‘‘बुधवार रात को नदी से दो और शव बरामद होने के साथ पुल ढहने की घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है। इस घटना में घायल हुए पांच लोगों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।’’
रात में मिले दोनों शवों की पहचान मेहराम हथिया (51) और विष्णु रावल (27) के रूप में हुई है। अधिकारियों के अनुसार, मध्य गुजरात को राज्य के सौराष्ट्र से जोड़ने वाले गंभीरा-मुजपुर पुल का एक स्लैब बुधवार सुबह करीब सात बजे ढह गया। जिससे पुल से गुजर रहे वाहन नदी में गिर गए। आनंद ने बताया कि बचाए गए नौ लोगों में से पांच लोग घायल हैं और उनका वडोदरा के एसएसजी (सर सैयाजीराव जनरल) अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि घायलों में से किसी की भी हालत गंभीर नहीं है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार सड़क एवं भवन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम उच्च स्तरीय जांच के लिए बृहस्पतिवार सुबह यहां पहुंची। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और अन्य एजेंसियां नदी में खोज एवं बचाव अभियान संचालित कर री हैं। विज्ञप्ति में बताया गया है कि वडोदरा के जिलाधिकारी अनिल धमेलिया सहित विभिन्न अधिकारी बृहस्पतिवार सुबह घटनास्थल पर पहुंचे और अभियान का निरीक्षण किया, जबकि राजस्व अधिकारियों और पुलिस की टीम रात भर यहां डेरा डाले रही।