पहले चुनाव में करना पड़ा था हार का सामना, फिर बनाया कांग्रेस में अपना दबदबा, 19 हजार वोटों से मिली पराजय कैप्टन के करियर का अंत है?

By अभिनय आकाश | Mar 11, 2022

कांग्रेस से अलग होने के बाद अपनी पार्टी बनाने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव के बाद उनके राजनीतिक करियर का अंत माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले ही उन्होंने उसे अपना आखिरी चुनाव बताया था। अमरिंदर सिंह को पटियाला विधानसभआ सीट से 19797 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अजितपाल सिंह कोहली ने उन्हें पराजित किया है। आइए कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक करियर के बारे में जानते हैं। 

स्कूली शिक्षा और करियर

अमरिंदर सिंह ने पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री (मार्च 2017 से सितंबर 2021) के रूप में कार्य किया है। इससे पहले उन्होंने 2002-2007 तक पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वह पटियाला से विधान सभा के निर्वाचित सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने 1980 में पहली बार लोकसभा में जीत के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। राजनीति के अलावा सिंह ने 1963 से 1966 तक भारतीय सेना के लिए काम किया है। अमरिंदर सिंह का जन्म फुलकियान वंश महाराजा यादवेंद्र सिंह और पटियाला की महारानी मोहिंदर कौर के घर हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वेल्हम बॉयज़ स्कूल और लॉरेंस स्कूल सनावर, द दून स्कूल, देहरादून से पूरी की। 

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1965 युद्ध में लिया हिस्सा

 उनकी पत्नी परनीत कौर 2009 से 2014 तक सांसद और विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री रह चुके हैं। जनीति में आने से पहले वे भारतीय सेना में थे। 1963 में वे 1965 की शुरुआत में इस्तीफा देने से पहले राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक होने के बाद सेना में शामिल हुए। पाकिस्तान साथ जंग के वक्त भारतीय सेना में शामिल हो गए और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में कैप्टन के रूप में कार्य किया। अमरिंदर सिंह सेना के सिख रेजिमेंट में थे।

राजनीतिक सफर

2021

कैप्टन ने 18 सितंबर 2021 को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

2017

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बहुमत से जीत हासिल की और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

2016

कैप्टन ने 23 नवंबर 2016 को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया।

2015

उन्हें पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।

2014

उन्हें पंजाब विधानसभा के सदस्य के रूप में पांच बार पटियाला (शहरी) का तीन बार, समाना और तलवंडी साबो का एक-एक बार प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। वह सदस्य, रक्षा संबंधी स्थायी समिति और सदस्य, सलाहकार समिति, रक्षा मंत्रालय, 1 सितंबर 2014 - 23 नवंबर 2016 तक थे।

प्रारंभिक जीवन

1965

उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में कप्तान के रूप में हिस्सा लिया।

 

 

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