By अंकित सिंह | Dec 13, 2025
बिगड़ती वायु गुणवत्ता और बढ़ते प्रदूषण के रुझान को देखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) पर उप-समिति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तत्काल प्रभाव से योजना के चौथे चरण के तहत सभी उपायों को लागू करने का निर्णय लिया है। जीआरएपी का चौथा चरण, जिसे 'गंभीर+' वायु गुणवत्ता श्रेणी में रखा गया है, तब लागू होता है जब दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 के पार हो जाता है। यह नवीनतम निर्णय इस चिंता के बीच आया है कि यदि सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो प्रदूषण का स्तर और भी बिगड़ सकता है।
इससे पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में ‘चरणबद्ध प्रतक्रिया कार्य योजना’ (ग्रैप) के तीसरे चरण के तहत सख्त प्रतिबंध शनिवार को लागू किए थे, जिनमें पांचवी कक्षा तक के विद्यालयों में पढ़ाई ‘हाइब्रिड मोड’ में कराया जाना और निर्माण एवं विध्वंस कार्यों पर प्रतिबंध लगाया जाना शामिल हैं। आयोग ने यह कदम मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच प्रदूषण स्तर में काफी बढ़ोतरी होने के बीच उठाया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 349 था, लेकिन हवा की धीमी गति, स्थिर वातावरण, मौसम संबंधी प्रतिकूल स्थितियों और प्रदूषकों के फैलाव की कमी के कारण यह शनिवार सुबह 10 बजे तक बढ़कर 401 हो गया।
इसमें कहा गया है कि वायु गुणवत्ता की मौजूदा स्थिति को देखते हुए तथा क्षेत्र में स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए सीएक्यूएम ग्रैप उप-समिति ने फैसला किया है कि वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर को देखते हुए ग्रैप के तीसरे चरण के उपाय तत्काल प्रभाव से लागू किए जाएं। बयान में कहा गया है कि ये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पहले से ही लागू ग्रैप के पहले एवं दूसरे चरण के तहत लागू उपायों के अतिरिक्त हैं। तीसरे चरण के प्रतिबंधों में गैर-जरूरी निर्माण, विध्वंस कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन गतिविधियों पर रोक शामिल है। दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में बीएस तीन के पेट्रोल संचालित और बीएस चार के डीजल संचालित चार पहिया वाहनों पर भी प्रतिबंध लागू किया गया है।