दिल्ली का धमाका, मोसाद का खुफिया ऑपरेशन, इस तरह 10 साल बाद लिया इजरायल और भारत का बदला

By अभिनय आकाश | May 27, 2022

1 मार्च की तारीख को वहां सबकुछ रूटीन जैसा चल रहा था। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची के अख्तर कॉलोनी के दुकान में शांति थी मानों तूफान से पहले की शांति। मोटरसाइकिल सवार एक दुकान के चक्कर काटते नजर आते हैं। दुकान को देखकर ये प्रतीत होता है कि कोई गोदाम है। हवा में बाइक के घुड़घुड़ाने की आवाज और पेट्रोल की गंध घुलने लगती है। मोटरसाइकिल सवार हाथों में दो हथियार लिए फर्नीचर के गोदान के भीतर दाखिल होते हैं और फिर ट्रिगर दबता है और गोली टारगेट के शरीर के आर-पार हो जाती है। बाइक जैसे धुंआं गायब हुआ था वैसे ही गायब हो जाती है। गोलियों की आवाज और टागरेट किलिंग की खबर अमूमन जंगल की आग की तरह फैलती है। लेकिन इस खबर को दबा लिया गया। लेकिन बाद में मीडिया से छन कर खबर आई कि मारा गया शख्स जहूर मिस्त्री उर्फ जाहिद अखुंद है। धीरे-धीरे तस्वीर साफ होती गई और फिर पता चला कि ये अखुंद नाम से बिजनेसमैन बनकर कराची में रह रहा शख्स कोई और नहीं बल्कि कंधार विमान अपहरण में शामिल आतंकी जहूर मिस्त्री था। आपको याद होगा कि इंडियन एयर लाइंस के आईसी 814 विमान को 24 दिसंबर 1999 को नेपाल से अपहरण कर लिया गया था। इस विमान को अफगानिस्तान के कंधार में ले जाया गया था। इस हाइजैकिंग में शामिल जहूर मिस्त्री को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। कई लोगों ने यहां तक दावा कर दिया कि इस ऑपरेशन को भारत ने अंजाम दिया है। लेकिन आज की कहानी से इस घटना का सीधा कोई संबंध नहीं है। आज की कहानी ऐसे ही खुफिया अंदाज में एक ऑपरेशन को अंजाम दिए जाने को लेकर है। जिसके तहत कहा जा रहा है कि ईरान में इसे अंजाम दिए जाने से भारत और इजरायल दोनों देशों का बदला लिया गया है। 

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अपने राजनयिक पर 'ईरानी' हमले का लिया ऐसे बदला

इजराइल ने बड़ी ही खामोशी ने एक ऐसे ऑपरेशन को अंजाम दिया है जिसने दुनियाभर में तहलका मचा दिया है। इस ऑपरेशन के केंद्र में भारत है। इजरायल का ये ऑपरेशन कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इजरायल को 10 सालों तक अपने टारगेट को खत्म करने के लिए इंतजार करना पड़ा। दरअसल, साल 2012 में दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित इजराइली दूतावास पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। इस हमले ने भारत के साथ-साथ इजरायल को भी हिला कर रख दिया था। 2012 में हुए इस आतंकी हमले में इजरायली राजनयिक की पत्नी समेत कई लोग घायल हो गए थे। इस हमले का मास्टरमाइंड ईरान की सेना का एक कर्नल बताया गया था। जिसके बाद से ही इजरायल मौके की तलाश में था। जब वो इस हमले का बदला ले सके। आखिरकार इजरायल को कामयाबी मिल गई। इजरायल को अपना शिकार ईरान में मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में ईरानी सेना यानी रिवल्यूशनरी गार्ड के कर्नल को खोज कर मार गिराया। उस कर्नल का नाम हसन सईद बताया जा रहा है। हसन सईद कई देशों में इजरायली राजदूतों पर हमले का मास्टरमाइंड रहा है। ईरान अभी तक यह पता नहीं लगा पाया है कि यह हमला किसने और कैसे अंजाम दिया है। कर्नल हसन को तेहरान के मोहहेद्दिन-ए-इस्‍लाम सड़क पर मारा गया जहां पर ईरान के कुख्‍यात कुद्स फोर्स के वरिष्‍ठ अधिकारी रहते हैं।

ईरान के परमाणु प्रमुख की हत्या

2020 में तकरीबन इसी अंदाज में ईरान के टॉप न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फकरीजादे की हत्या भी हुई थी। फकरीजादे अपनी पत्नी के साथ ससुराल जा रहे थे। रास्ते में एक खाली पड़ी कार में बम धमाका हुआ। धमाके के चलते फकरीजादे की कार को ब्रेक लगाना पड़ा। इतने में चारो तरफ से उन पर गोलियां बरसने लगी। जब तक रेस्क्यू हेलीकॉप्टर आता तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। शुरुआती रिपोर्ट में पता चला कि फकरीजादे को मारने के लिए चार बाइक पर कम से कम 12 हमलावर आए होंगे। लेकिन बाद में पता चला कि पूरे ऑपरेशन को दूर देश से कंट्रोल किया जा रहा था। सितंबर 2021 में न्यूयार्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें दावा किया कि मोहसिन फकरीजादे को रोबोर्ट ने गोलियां मारी थी। इस मिशन के लिए आर्टिफिशिलय इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया था। मोहसिन फखरीजादेह की हत्या में इजरायल खुफिया एजेंसी मोसाद शामिल थी और हत्याकांड को रिमोट कंट्रोल से चलने वाली मशीन गन की मदद से अंजाम दिया था। चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर ने बगल में ही उनकी पत्नी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। इस पूरे ऑपरेशन के पीछे मोसाद का हाथ होने की बात सामने आई। 2004 से ही मोसाद को इजरायली सरकार की तरफ से ये आदेश जारी किए गए थे कि किसी भी हालत में ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोका जाए। तब से अब तक आरोप है कि इजरायल ने अब तक ईरान के पांच परमाणु वैज्ञानिकों को मारा है। 

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कुद्स फोर्स क्या काम करती है?

कर्नल हसन सईद आईआरजीसी की उस शाखा में काम करते थे जो विदेश में ऑपरेशन चलाती है। कुद्स फोर्स ईरान के रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स की विदेशी यूनिट का हिस्सा है। इसे ईरान की सबसे ताकतवर और धनी फौज माना जाता है। कुद्स फोर्स का काम है विदेशों में ईरान के समर्थक सशस्त्र गुटों को हथियार और ट्रेनिंग मुहैया कराना है। कुद्स फोर्स सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम लीडर के प्रति जावबदेह है।

  -अभिनय आकाश

 

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