By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 20, 2025
दिल्ली उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को राहत देते हुए शुक्रवार को लोकपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कथित तौर पर पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में सीबीआई को आरोप-पत्र दाखिल करने की अनुमति दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम के तहत स्पष्ट रूप से अनिवार्य प्रक्रिया से ‘‘स्पष्ट विचलन’’ हुआ है, और लोकपाल ने अधिनियम के प्रावधानों की अपनी समझ और व्याख्या में गलती की है। अदालत ने कहा, ‘‘जिस तरीके से कार्यवाही की गई वह न तो क़ानून द्वारा परिकल्पित है और न ही लोकपाल के कार्यों के उचित निर्वहन के लिए आवश्यक है।’’
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने अपने 44 पृष्ठों के आदेश में कहा, ‘‘अपनाई गई प्रक्रिया लोकपाल अधिनियम की विधिक चतुराई या पुनर्गठन का एक रूप प्रतीत होती है, जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसी प्रक्रिया सामने आती है जो अधिनियम की योजना, उद्देश्य और स्पष्ट प्रावधानों के साथ असंगत है।’’
खंडपीठ ने कहा, ‘‘यह आदेश रद्द किया जाता है। हमने लोकपाल से अनुरोध किया है कि वे संबंधित प्रावधानों के अनुसार एक महीने के भीतर लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20 के तहत स्वीकृति प्रदान करने पर विचार करें।’’
कथित तौर पर पैसे लेकर सवाल पूछने का यह मामला इस आरोप से संबंधित है कि मोइत्रा ने एक व्यवसायी से नकदी और उपहार के बदले सदन में सवाल पूछे थे। मोइत्रा के वकील ने तर्क दिया था कि लोकपाल द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में स्पष्ट खामी थी। उन्होंने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20(7) का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत मंजूरी देने से पहले लोक सेवकों की राय लेना अनिवार्य है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि लोकपाल की कार्यवाही में मोइत्रा को दस्तावेज पेश करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें केवल टिप्पणी करने का अधिकार है तथा मौखिक सुनवाई का भी अधिकार नहीं है।
मोइत्रा ने सीबीआई को मंजूरी आदेश के अनुसरण में कोई भी कदम उठाने से रोकने का भी अनुरोध किया है। सीबीआई ने जुलाई में मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से जुड़े कथित तौर पर पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
केंद्रीय एजेंसी ने लोकपाल के अनुरोध पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोनों के खिलाफ 21 मार्च, 2024 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह आरोप लगाया गया था कि मोइत्रा ने हीरानंदानी से रिश्वत और अन्य अनुचित लाभ लेकर भ्रष्ट आचरण किया। अधिकारियों के अनुसार सीबीआई ने इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी है, जो इस मामले में आगे की कार्रवाई तय करेगा।