By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 05, 2025
राष्ट्रीय राजधानी की पटियाला हाउस अदालत के एक जिला न्यायाधीश ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उनके हस्ताक्षर वाले कुछ फर्जी अदालती आदेश सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए हैं। इनमें गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने और संपत्ति की जब्ती से जुड़े आदेश शामिल हैं।
वाणिज्यिक न्यायालय-01 के जिला न्यायाधीश की शिकायत के बाद 23 अप्रैल को नयी दिल्ली साइबर पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। न्यायाधीश ने अपनी शिकायत में कहा है कि सोशल मीडिया के माध्यम से कई बार ऐसे जाली दस्तावेज भेजे गए हैं, जिन पर उनका नाम अंकित है और उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के रूप में दर्शाया गया है।
प्राथमिकी के मुताबिक, पहला मामला 31 मई 2024 को सामने आया, जब “सरकार बनाम सुश्री अंकिता” के नाम से न्यायाधीश के जाली हस्ताक्षर वाला “गिरफ्तारी वारंट” संबंधी आदेश प्रसारित किया गया।
प्राथमिकी के अनुसार, दूसरा मामला दो दिसंबर 2024 का है, जब “सरकार बनाम संकेत सुरेश साटम” के नाम से न्यायाधीश के जाली हस्ताक्षर वाला संपत्ति की जब्ती से जुड़ा आदेश सोशल मीडिया पर सामने आया।
प्राथमिकी में कहा गया है कि दोनों आदेश में न्यायाधीश को दिल्ली जिला अदालत में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में गलत रूप से अंकित किया गया था। इसमें कहा गया है कि न्यायाधीश ने कभी ऐसे आदेश जारी ही नहीं किए और दस्तावेजों पर मौजूद हस्ताक्षर जाली हैं। शिकायत न्यायाधीश के वरिष्ठ न्यायिक सहायक (एसजेए) के माध्यम से दायर कराई गई थी।
शिकायत के मुताबिक, “उपरोक्त मामलों के अलावा न्यायाधीश को उनके व्हाट्सऐप नंबर पर भी इसी तरह के संदेश मिले हैं और संबंधित उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई है। यहां इस बात का जिक्र करना उचित है कि उपर्युक्त दस्तावेज/आदेश यानी गिरफ्तारी वारंट और संपत्ति जब्ती आदेश जाली हैं। न्यायाधीश ने ऐसा कोई आदेश जारी/पारित नहीं किया है।” इसमें कहा गया है कि शिकायतकर्ता को अब मूल संदेश और उनके स्रोत तक पहुंच हासिल नहीं है।
प्राथमिकी के अनुसार, “जांच और शिकायत की विषय-वस्तु के आधार पर नयी दिल्ली जिले के साइबर पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 204 (लोक सेवक होने का झूठा दावा करना), 336 (जालसाजी) और 337 (अदालत के रिकॉर्ड, सार्वजनिक रजिस्टर या अन्य समान दस्तावेज में धोखाधड़ी का अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है।