दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी पर भी थाने में होगी e-FIR, अब अपराध पर लगेगा लगाम

By अभिनय आकाश | Oct 31, 2025

पिछले साल दिल्लीवासियों को 1,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के साइबर अपराधों की मार झेलनी पड़ी, जिसके बीच दिल्ली पुलिस ने साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में ई-एफआईआर दर्ज करने की सीमा 10 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दी है। इस कदम का उद्देश्य त्वरित निवारण और मज़बूत डिजिटल पुलिसिंग सुनिश्चित करना है। एक अधिकारी ने गुरुवार को घोषणा की कि 1 नवंबर से, 1 लाख रुपये या उससे अधिक की ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार अब ई-एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। यह नई सुविधा, जो पहले केवल 10 लाख रुपये या उससे अधिक की धोखाधड़ी के मामलों पर ही लागू होती थी, अब कम राशि की धोखाधड़ी के शिकार लोगों के लिए राष्ट्रीय राजधानी के किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराना आसान बना देगी।

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एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता किसी भी पुलिस स्टेशन में जा सकते हैं, जहाँ एकीकृत सहायता डेस्क के कर्मचारी उनकी शिकायत दर्ज करेंगे और यदि धोखाधड़ी की गई राशि 1 लाख रुपये से अधिक है, तो ई-एफआईआर दर्ज करेंगे। विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध शाखा) देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया,पहले हमें 10 लाख रुपये या उससे अधिक की धोखाधड़ी की 70 से 80 शिकायतें हर महीने मिलती थीं। सीमा को घटाकर एक लाख रुपये करने के नए फैसले के साथ, हमें उम्मीद है कि ई-एफआईआर दर्ज कराने के लिए यह संख्या बढ़कर हर महीने 700-800 हो जाएगी। श्रीवास्तव ने बताया कि नई पहल के तहत, जिन शिकायतकर्ताओं ने एक लाख रुपये या उससे अधिक की राशि खो दी है, वे 1930 पर साइबर हेल्पलाइन पर भी कॉल कर सकते हैं। कॉल लेने वाला व्यक्ति पोर्टल पर शिकायत दर्ज करेगा, जो स्वतः ही ई-एफआईआर में बदल जाएगी। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस को 1930 हेल्पलाइन पर प्रतिदिन साइबर धोखाधड़ी से संबंधित 3,000 से अधिक कॉल आती हैं। 

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उन्होंने कहा कि दूसरी बड़ी विशेषता यह है कि पीड़ित अब पुलिस स्टेशन जाकर नए स्थापित एकीकृत हेल्प डेस्क कर्मचारियों की सहायता से ई-एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि ई-एफआईआर को आगे की जाँच के लिए संबंधित साइबर पुलिस स्टेशन भेज दिया जाएगा। विशेष पुलिस आयुक्त ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर के अलावा, राष्ट्रीय राजधानी में हमारे कुल 225 पुलिस स्टेशन हैं जहाँ पीड़ित आकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इससे हमें साइबर संबंधी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने के लिए अतिरिक्त कार्यबल मिलता है।

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