भारत-चीन सीमा पर पिछले वर्ष के अप्रैल के महीने से चले आ रहे तनाव के बाद पैंगोंग झील के दोनों किरानों से सैनिकों के डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया जारी है। दोनों देशों के सैनिक अपनी तोपों समेत पीछे हटने लगी है। वहीं थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकंद नरवणे ने बीते दिनों 100 के-9 वज्र तोपों को अपने बेड़े में शामिल किया था। इनमें से तीन तोपों को लद्दाख की ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में तैनात किया गया है। एएनआई की खबर के अनुसार तीन तोपों के लेह पहुंचने के बाद उन्हें ऊंचाई वाले क्षेत्र में ले जाया जा रहा है। वहां इसकी जांच की जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार इन तोपों की टेस्टिंग से यह देखा जाएगा कि इनका इस्तेमाल हाई एल्टीट्यूड वाले इलाकों में जरूरत महसूस होने पर दुश्मनों के खिलाफ किया जा सकता है या नहीं। कहा जा रहा है कि टेस्टिंग के बाद भारतीय सेना पहाड़ी इलाकों के लिए स्व-चलित हाॅवित्सर की दो से तीन अतिरिक्त रेजिमेंटों के लिए ऑडर पर विचार कर सकती है।
के-9 वज्र तोपों की खासियत
के-9 वज्र तोपों को इससे पहले मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों और पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर तैनात करके देखा जा चुका है। के-9 के वार करने की अधिकतम सीमा 28 से 38 किलोमीटर बाताई जा रही है। वहीं के-9 वज्र में तीर तरह के फायरिंग मोड हैं। इसमें तीन मिनट के भीतर 15 राउंड तक फायरिंग होती है।