एक तरफ कैप्टन की नाराजगी तो दूसरी तरफ सिद्धू के तेवर, कांग्रेस संगम कराए तो कैसे?

By अंकित सिंह | Jul 05, 2021

पंजाब में कांग्रेस के अंदर गुटबाजी और अंतर्कलह लगातार जारी है। हालांकि आलाकमान की ओर से लगातार गुटों को एक साथ करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन आलाकमान का यह प्रयास कब तक रंग लाएगा इसको लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इतना तो जरूर है कि जिस तरह से बागी नवजोत सिंह सिद्धू को आलाकमान की ओर से मनाने की कोशिश की गई है उससे अमरिंदर सिंह की नाराजगी और बढ़ सकती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी भी हालत में नहीं चाहते कि सिद्धू को इतना महत्व दिया जाए। ऐसे में आलाकमान जिस तरह से सिद्धू को मनाने की लगातार कोशिश कर रहा है और उनसे मुलाकात हो रही है ऐसे में कैप्टन नाराज हो सकते हैं। यही कारण रहा कि जब सिद्धू दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात कर रहे थे ठीक उसी वक्त चंडीगढ़ में कैप्टन अमरिंदर सिंह लंच डिप्लोमेसी कर रहे थे।

 

इसे भी पढ़ें: इन दो राज्यों में दहेज भुगतान में इजाफा, केरल की हालत सबसे खराब


कैप्टन अमरिंदर सिंह के लंच डिप्लोमेसी में लगभग पंजाब के सभी विधायक मौजूद रहे। इस डिप्लोमेसी में कैप्टन ने पंजाब के लगभग सभी नेताओं को साधने की कोशिश तो की ही, साथ ही साथ हिंदू नेताओं को भी अपने पक्ष में रखने की कवायद की शुरुआत कर दी। सिद्धू की नाराजगी के बीच आलाकमान ने उन्हें कैप्टन कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री का पद और साथ ही साथ चुनावी कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाने का विकल्प दिया है। हालांकि सिद्धू ने इस ऑफर को ठुकरा दिया है। इसके बाद यह खबर भी खूब तैर रही है कि सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद का कमान सौंपा जा सकता है। इसको लेकर अमरिंदर सिंह अभी से ही रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

 

इसे भी पढ़ें: राजनेताओं की महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ रहा लोकतंत्र, हर जगह 'एक अनार सौ बीमार वाली' स्थिति


दरअसल, अमरिंदर सिंह का तर्क है कि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद किसी हिंदू नेता को ही दिया जाए ताकि प्रदेश के हिंदुओं का प्रतिनिधित्व हो सके। कैप्टन अमरिंदर का मानना है कि अगर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद एक ही जाट समाज के पास होता है तो इससे दूसरे समुदायों को मौका नहीं मिलेगा और उनमें इसकी नाराजगी हो सकती हैं। यही कारण रहा कि कैप्टन ने सभी हिंदू नेताओं को लंच पर बुलाया था। यह भी कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस की ओर से सिद्धू को बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है तो कैप्टन अपने बागी तेवर दिखा सकते हैं। 

 

इसे भी पढ़ें: आजादी के बाद सिख धर्मस्थल पर हुआ था पहला हमला, स्वर्ण मंदिर में 1955 की पुलिस कार्रवाई को SGPC ने किया याद


अगले साल पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने है। लेकिन कांग्रेस के लिए सिरदर्द यह है कि वहां पार्टी लगातार कई गुटों में बंटी हुई है। एक तरफ जहां कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी है तो दूसरी तरफ सिद्धू के तेवर है। कांग्रेस के लिए अग्निपरीक्षा यह है कि दोनों का संगम किस तरह से कराएं? आलाकमान दोनों को मनाने की कोशिश तो लगातार कर रहा है परंतु कुछ होता दिख नहीं रहा। सिद्धू की महत्वाकांक्षा और भी बढ़ रही है तो वही कैप्टन अपना दम लगातार दिखा रहे हैं। सब कुछ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के ही इर्द-गिर्द घूम रहा है। 

प्रमुख खबरें

RCB vs CSK IPL 2024: आरसीबी ने चेन्नई सुपर किंग्स का सपना तोड़ा, बेंगलुरु ने 9वीं बार प्लेऑफ के लिए किया क्वालीफाई

Kashmir में आतंक का डबल अटैक, शोपियां में पूर्व सरपंच को गोलियों से भूना, पहलगाम में जयपुर से आए दपंत्ति को बनाया निशाना

Shah ने BJP और उसके छद्म सहयोगियों को नेशनल कॉन्फ्रेंस को हराने का निर्देश दिया: Omar

विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजने में Congress अव्वल : Chief Minister Mohan Yadav