आजादी के बाद सिख धर्मस्थल पर हुआ था पहला हमला, स्वर्ण मंदिर में 1955 की पुलिस कार्रवाई को SGPC ने किया याद

SGPC organises event to mark police action at Golden Temple in 1955

एसजीपीसी प्रमुख बीबी जागीर कौर ने रविवार को कहा, ‘‘ यह आजादी के बाद मुख्य सिख धर्मस्थल पर पहला हमला था। सिखों ने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी। लेकिन आजादी के आठ साल बाद ही सिखों के मुख्य धर्मस्थल पर पुलिस की तैनाती तत्कालीन कांग्रेस सरकार की सिख विरोधी मानसिकता की झलक थी।

अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने 1955 में आज के ही दिन स्वर्ण मंदिर में हुई पुलिस कार्रवाई को याद करते हुए रविवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया। पंजाब की तत्कालीन सरकार ने उस समय पंजाबी भाषी राज्य के लिए चले आंदोलन ‘पंजाबी सूबा मोर्चा’ के दौरान 1955 में स्वर्ण मंदिर में पुलिस बल भेजा था। यह कार्रवाई तब की गयी थी जब अमृतसर के उपायुक्त ने कानून व्यवस्था के मद्देनजर ‘पंजाबी सूबा’ नारे पर पाबंदी लगा दी थी।

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चार जुलाई, 1955 को तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक अश्वनी कुमार के नेतृत्व में पुलिस जूते पहनकर मंदिर परिसर में पहुंची थी। उन्होंने लंगर रुकवा दिया था और पुलिस बर्तन एवं अन्य चीजें उठा ले गयी थी। पुलिस ने स्वर्ण मंदिर के बाहरी क्षेत्र में आंसू गैस के गोले दागे थे और दो सौ अधिक लोग हिरासत में लिए गए थे। एसजीपीसी प्रमुख बीबी जागीर कौर ने रविवार को कहा, ‘‘ यह आजादी के बाद मुख्य सिख धर्मस्थल पर पहला हमला था। सिखों ने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी। लेकिन आजादी के आठ साल बाद ही सिखों के मुख्य धर्मस्थल पर पुलिस की तैनाती तत्कालीन कांग्रेस सरकार की सिख विरोधी मानसिकता की झलक थी।

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