Dorabji Tata Birth Anniversary: 'मैन ऑफ स्टील' कहे जाते हैं उद्योगपति दोराबजी टाटा, औद्योगिक क्रांति की रखी थी नींव

By अनन्या मिश्रा | Aug 27, 2025

आज ही के दिन यानी की 27 अगस्त को उद्योगपति दोराबजी टाटा का जन्म हुआ था। उन्होंने टाटा कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया था। उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करते हुए भारत का पहला स्टील प्लांट स्थापित किया था। इसी कारण उनको 'मैन ऑफ स्टील' भी कहा जाता है। भारत में औद्योगिक क्रांति की नींव रखने के साथ ही भारत को खेल एवं उद्योग के क्षेत्र में अलग पहचान दिलाने का काम किया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर उद्योगपति दोराबजी टाटा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

बता दें कि 27 अगस्त 1859 को दोराबजी टाटा का जन्म हुआ था। उनको बिजनेस विरासत में मिला था। वह जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे थे और उन्होंने अपने पिता से बिजनेस के गुण सीखे थे। साल 1904 में जमशेदजी टाटा की मौत के बाद टाटा समूह की कमान दोराबजी टाटा ने संभाली। उन्होंने अपने पिता के सपनों को पूरा करने का बीड़ा उठाया। कंपनी का नेतृत्व संभालने के 3 साल बाद दोराबजी टाटा ने स्टील के क्षेत्र में कदम रखा। फिर साल 1907 में टाटा स्टील और साल 1911 में टाटा पावर की स्थापना की थी।

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देश का पहला इस्पात संयंत्र

उस समय टाटा स्टील देश का पहला इस्पात संयंत्र था। दोराबजी टाटा के नेतृत्व में अधिकतर लोहे की खानों का सर्वेक्षण हुआ था। उन्होंने कारखाना लगाने के लिए मैंगनीज, लोहा, कोयला समेत इस्पात और खनिज पदार्थों की खोज की थी। साल 1910 आते-आते ब्रिटिश सरकार द्वारा दोराबजी को नाईटहुड की उपाधि दी गई थी। दोराबजी टाटा समूह के पहले चेहरमैन बने और साल 1908 से लेकर 1932 तक इस पद पर बने रहे।


जमशेदपुर का विकास

झारखंड के जमशेदपुर का कायाकल्प दोराबजी टाटा ने किया था। उन्होंने अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए जमशेदपुर का विकास किया। जिसका नतीजा यह रहा कि जमशेदपुर औद्योगिक नगर के रूप में भारत के मानचित्र पर छा गया।


खेल में रुचि

दोराबजी टाटा को उद्योग के अलावा खेल में भी रुचि थी। उन्होंने कैम्ब्रिज में दो साल बिताए थे, इस दौरान उन्होंने खेलों में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। दोराबजी टाटा क्रिकेट और फुटबॉल खेलना जानते थे और कॉलेज के लिए टेनिस भी खेला था। इसके अलावा वह एक अच्छे घुड़सवार भी थे। साल 1920 में दोराबजी ने भारत को पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने भारतीय ओलंपिक परिषद के अध्यक्ष रहते हुए साल 1924 के पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय टीम की आर्थिक सहायता भी की थी।


मृत्यु

वहीं 11 अप्रैल 1932 को दोराबजी टाटा यूरोप यात्रा पर गए थे। इस दौरान 03 जून 1932 को जर्मनी के बैड किसेनगेन में दोराबजी टाटा की मृत्यु हो गई थी।

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