Mother Teresa Birth Anniversary: मदर टेरेसा ने भारत की बेटी बनके की मानवता की सेवा, भारत रत्न से की गई थीं सम्मानित

बता दें कि 06 जनवरी 1929 को मदर टेरेसा भारत आ गई थीं। यहां पर वो मिशनरी के रूप में गरीबों और बीमारों की सेवा करने लगीं। दार्जिलिंग में रहकर उन्होंने बंगाली सीखी और कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने का कार्य शुरू किया।
आज ही के दिन यानी की 26 अगस्त को महान संत और समाजसेवी मदर टेरेसा का जन्म हुआ था। मदर टेरेसा ने अपनी पूरी जिंदगी भारत में रहकर गरीबों की सेवा में बिता दी थी। उन्होंने अपने कार्यों से पूरी दुनिया में मानवता की सेवा का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। मदर टेरेसा ने बचपन में ही गरीबों और असहायों की सेवा करने का मन बना लिया था। इसके लिए उन्होंने अल्बानिया से आयरलैंड जाकर प्रशिक्षण भी लिया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर मदर टेरेसा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
मेसेडोनिया के स्कोप्जे में एक अल्बेनीयाई परिवार में 26 अगस्त 1910 को मदर टेरेसा का जन्म हुआ था। उनके पिता एक साधारण व्यवसायी थे। उनका असली नाम एग्नेस था, जिसको बदलकर उन्होंने अपना नाम टेरेसा रख लिया था। यह नाम चुनने के पीछे एक खास वजह थी, क्योंकि वह संत थेरेस ऑस्ट्रेलिया और टेरेसा ऑफ अविला को सम्मान देना चाहती थीं। पढ़ाई के साथ ही उनको संगीत में दिलचस्पी थी। जब मदर टेरेसा 12 साल की थीं, तभी इनको अनुभव हो गया था कि वह अपना जीवन मानव सेवा में लगाएंगी। वहीं 18 साल की उम्र में उन्होंने 'सिस्टर्स ऑफ लोरेटो' में शामिल होने का फैसला लिया।
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भारत में बस गईं मदर टेरेसा
बता दें कि 06 जनवरी 1929 को मदर टेरेसा भारत आ गई थीं। यहां पर वो मिशनरी के रूप में गरीबों और बीमारों की सेवा करने लगीं। दार्जिलिंग में रहकर उन्होंने बंगाली सीखी और कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने का कार्य शुरू किया। फिर उन्होंने कोलकाता में 20 साल तक एनटैले के लोरेट कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाया। वहीं साल 1946 में मदर टेरेसा को आध्यात्मिक अनुभव महसूस हुआ और फिर स्कूल में पढ़ाना छोड़कर कोलकाता के गरीबों, लावारिसों और बीमार लोगों की सेवा करने लगीं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लगातार गरीबों और बीमारों की सेवा में लगी रहीं।
भारत की नागरिकता
जब मदर टेरेसा सेवा क्षेत्र में आईं तो उन्होंने अपनी ड्रेस साड़ी कर ली। जिससे कि वह भारतीय सभ्यता के बीच आसानी से घुल-मिल सकें। इससे पहले वह झोपड़ी में रहा करती थीं और भीख मांगकर अपना पेट भरती थीं। उन्होंने कोढ़, प्लेग आदि बीमारियों के मरीजों की सेवा की। साल 1947 में मदर टेरेसा ने भारत की नागरिकता ले ली थी।
सम्मान
साल 1979 में मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला। फिर साल 1980 में उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वहीं 04 सितंबर 2016 को मदर टेरेसा को संत की उपाधि मिली थी।
मृत्यु
वहीं 05 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का निधन हो गया था।
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