लॉकडाउन में फंसे लोगों पर विपक्ष शासित राज्यों के साथ केंद्र का दोहरा मापदंड: बघेल

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 21, 2020

नयी दिल्ली। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश के विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों एवं छात्र-छात्राओं को उनके घर भेजने की व्यवस्था करने की मांग करते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस मामले में राज्य सरकारों के साथ दलगत आधार पर दोहरा मापदंड अपना रही है। उन्होंने राजस्थान के कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग ले रहे उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों को राज्य सरकार द्वारा बस भेजकर वापस लाने का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की और कहा कि छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों को अपने लोगों को वापस लाने का अवसर मिलना चाहिए। बघेल ने यह भी बताया कि राज्य में कोरोना वायरस की त्वरित जांच (रैपिड टेस्टिंग) शुरू हो गयी है और जल्द ही रैंडम टेस्टिंग (बिना लक्षण वाले किसी भी व्यक्ति की जांच) शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा, जांच किट खरीदने की अनुमति केंद्र सरकार से मिलने के बाद हमने किट खरीदी हैं। जांच की संख्या बढ़ी है। अब हम त्वरित जांच कर रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जल्द ही रैंडम टेस्टिंग की जाएगी। विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, केरल की सरकार ने कुछ जगहों पर बाजार खोला तो केंद्र ने उसे नोटिस दे दिया। लेकिन जहां भाजपा सरकार है वहां दूसरा मापदंड है। उत्तर प्रदेश सरकार 300 बसें भेजकर राजस्थान से बच्चे बुला लेती है। यह दोहरा मापदंड ठीक नहींहै। उनके मुताबिक पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और खुद उन्होंने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, यात्रियों एवं छात्र-छात्राओं को उनके घर भेजने की व्यवस्था करने की मांग उठाई थी। उन्होंने कहा, छात्रों को राजस्थान से उप्र में लाया जा सकता है तो फिर मजदूरों को उनके घर भेजने की व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती? यह व्यवस्था केंद्र सरकार को करनी है। बघेल के अनुसार छत्तीसगढ़ के 80 हजार से अधिक लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं जिन्हें वापस लाने का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके राज्य में केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार कुछ जगहों पर कारोबारी गतिविधियां धीरे-धीरे खोली जा रही हैं। 

 

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि लॉकडाउन के कारण राज्यों की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है और ऐसे में केंद्र सरकार से वित्तीय मदद की जरूरत है। उन्होंने तीन मई तक छत्तीसगढ़ के कोरोना मुक्त होने की उम्मीद जताते हुए कहा, राज्य सरकार के त्वरित कदमों के कारण राज्य में कोरोना के सिर्फ 36 मामले आए और इनमें से सिर्फ 11 का उपचार चल रहा है। इन्हें भी अस्पतालों से जल्द छुट्टी मिल सकती है। बघेल ने कहा, राज्य के कुल 28 जिलों में से सिर्फ पांच जिलों में कोरोना के मामले हैं। उम्मीद है कि जल्द ही ये जिले भी कोरोना मुक्त हो जाएंगे। उनके अनुसार लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही राज्य सरकार ने 56 लाख परिवारों को 70 किलो चावल और दूसरे जरूरी अनाज उपलब्ध कराए, स्कूली बच्चों को उनके घरों पर 40 दिन का मध्यान्ह भोजन पहुंचा दिया, बाजारों में सब्ज़ियों और दूसरी जरूरी वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई और लोगों की सहूलियत के लिए कई दूसरे कदम भी उठाए गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सुझाव मानते हुए केंद्र सरकार को सभी जनधन, किसान सम्मान और पेंशन योजनाओं से जुड़े खातों में 7500 रुपये डालने चाहिए।

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