By अनन्या मिश्रा | Dec 06, 2025
अर्थशास्त्री, वकील, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक डॉ भीमराव आंबेडकर का आज ही के दिन यानी की 06 दिसंबर को निधन हो गया था। डॉ आंबेडकर ने जीवन भर समाज में अनुसूचित वर्ग को समानता दिलाने के लिए संघर्ष किया था। उनको बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ भीमराव आंबेडकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
मध्यप्रदेश के महू छावनी में 14 अप्रैल 1891 को डॉ भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था। इनके बचपन का नाम भिवा था। इनके पिता का नाम रामजी मलोजी सकपाल और मां का नाम भीमाबाई मुरबादकर था। आंबेडकर अपने माता-पिता की आखिरी और 14वीं संतान थे।
आंबेडकर की शुरूआत शिक्षा सतारा से हुई। फिर साल 1907 में उन्होंने 10वीं पास किया और स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए बॉम्बे के एल्फिन्स्टन कॉलेज जाने का मौका मिला। फिर साल 1912 में उन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान की डिग्री प्राप्त की। फिर साल 1916 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी अमेरिका से उन्होंने पीएचडी की उपाधि मिली।
दलित समाज के लिए बाबासाहेब ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाए। आंबेडकर को बचपन में ही छुआछूत का सामना करना पड़ा था। उनको स्कूल में एक कोने में अकेले बैठना पड़ा। वह जिस बोरे पर बैठते थे, उस बोरे को स्कूल की सफाई करने वाला नौकर भी नहीं छूता था। क्योंकि आंबेडकर दलित समाज से आते थे और दलित लोग अछूत माने जाते थे।
जब भीमराव आंबेडकर मुंबई में सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक में प्रोफेसर बनें। तो वहां पर भी उनको भेदभाव का सामना करना पड़ा। डॉ आंबेडकर ने समाज में फैली छुआछूत जैसे कुरीतियों को मिटाने के लिए अथक प्रयास किया।
अगस्त 1947 में डॉ भीमराव आंबेडकर को भारत के संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान को तैयार करने में उनको 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा। साल 1952 में आंबेडकर को राज्यसभा के लिए नियुक्त किया गया। इसके अलावा उन्होंने कई किताबें भी लिखीं। डॉ आंबेडकर द्वारा लिखी आखिरी किताब 'द बुद्ध एंड हिज धम्म' थी।
वहीं 06 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव आंबेडकर का निधन हो गया था।