पंडित नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक हर एक प्रधानमंत्री से मिल चुके हैं डॉ कर्ण सिंह, 18 साल की उम्र में बने थे राज्य के मुखिया

By अनुराग गुप्ता | Mar 08, 2022

जम्मू-कश्मीर रियासत के राजा हरि सिंह के बेटे और उनके उत्तराधिकारी डॉ कर्ण सिंह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वो सदर-ए-रियासत के अलावा राज्यपाल के पदों पर भी रहे हैं। डॉ कर्ण सिंह ने 5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के कुछ प्रावधानों को समाप्त कर प्रदेश को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का स्वरूप दिए जाने का समर्थन किया था। इसके साथ ही उन्होंने पत्र लिखकर केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने का अनुरोध किया था। 

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फिल्मों के शौकीन हैं डॉ कर्ण सिंह

राजसी ठाठ में पले बढ़े डॉ कर्ण सिंह एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं और फिल्मों के काफी शौकीन रहे हैं। उन्होंने 40 के दशक में मुंबई में बंधन और कंगन फिल्में देखी थी और उन्हें काफी ज्यादा भा गई थी। उन्होंने कश्मीर शूट की गई फिल्मों के अलावा नए दौर की फिल्में भी देखी हैं।

कौन हैं डॉ कर्ण सिंह ?

स्वतंत्र भारत में डॉ कर्ण सिंह 18 साल की उम्र में राज्य के मुखिया बने थे और शायद ही लोकतंत्र में इतनी कम उम्र में कोई राज्य के मुखिया बने हों। मौजूदा दौर में डॉ कर्ण सिंह ही एकमात्र राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मुलाकात की। इसके अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री तक के साथ मिलने का अवसर मिला है। इसके अलावा बहुत से प्रधानमंत्रियों के साथ उन्होंने काम भी किया है।

18 साल की उम्र में डॉ कर्ण सिंह ने जम्मू-कश्मीर जैसे नाजुक राज्य के मुखिया रहे, उस वक्त पाक अधिकृत कश्मीर भी जम्मू-कश्मीर के साथ था। इसके अलावा कई सरकारों में मंत्रिपद संभाल चुके हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रहते हुए इन्होंने सरकार से तनख्वाह तक नहीं ली और मदिरा, सिगरेट जैसे खराब आदतों को मुंह तक नहीं लगाया है।

9 मार्च, 1931को जन्में डॉ कर्ण सिंह 91 वर्ष के हो गए हैं। लोकसभा और राज्यसभा के 8 बार सदस्य रह चुके डॉ कर्ण सिंह अपनी निजी संपत्ति का बड़ा भाग जम्मू-कश्मीर को समर्पित कर चुके हैं। उनके प्रयासों के चलते सलास बांध परियोजना, जम्मू-पठानकोट रेलवे लाइन का विस्तार, भद्रवाह-चंबा मार्ग, वैष्णो माता मंदिर में पहली सुरंग का निर्माण हो पाया है। इसके अलावा धर्मार्थ ट्रस्ट के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के कई मंदिरों का निर्माण और नवीनीकरण कराया। 

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डॉ कर्ण सिंह 4 बार लोकसभा के लिए क्रमश: 1967, 1971, 1977 और 1980 में उधमपुर सीट से चुने गए। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला है। पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्रालय, शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय इत्यादि शामिल है। इसके अतिरिक्त उन्होंने संयुक्त राज्य अमरीका में भारतीय राजदूत की भूमिका भी निभाई है। इतना ही नहीं उन्होंने जम्मू में स्थित अपने अमर महल को संग्रहालय और पुस्तकालय में परिवर्तित कराया था।

डॉ कर्ण सिंह एकमात्र ऐसे राजा हैं, जिन्होंने अपने इच्छा से निजी कोश (प्रिवी पर्स) का त्याग किया था। इतना ही नहीं डॉ कर्ण सिंह कई विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी रह चुके हैं। जिनमें जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय से लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय तक शामिल है।

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