By प्रज्ञा पाण्डेय | Dec 20, 2023
आज दुर्गाष्टमी व्रत है, इस दिन पूजा-व्रत करने से व्यक्ति को मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, तो आइए हम आपको दुर्गाष्टमी व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें दुर्गाष्टमी व्रत के बारे में
प्रत्येक महीने में पड़ने वाली मासिक दुर्गाष्टमी का खास महत्व होता है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा-व्रत करने का विधान है। मां दुर्गा शक्ति स्वरूपा हैं। ये हर पल अपने भक्तों का ख्याल रखती हैं, लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसी खास तिथियों का वर्णन किया गया है, जब माता रानी की पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इन्हीं तिथियों में से है नवरात्रि और मासिक दुर्गाष्टमी। पंडितों का मानना है कि इस दौरान मां दुर्गा पृथ्वी पर निवास करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को सुनती हैं, इसलिए इस दौरान पूजा का लाभ भी जल्दी मिलता है। इस बार मासिक दुर्गाष्टमी व्रत 20 दिसंबर को है। पंडितों के अनुसार इस दिन पूजा के दौरान मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा सुनने या पाठ करने से जीवन की परेशानियां दूर होती है। इसके अलावा घर में सुख-शांति बनी रहती है।
दुर्गाष्टमी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा
शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में पृथ्वी पर अधिक मात्रा में बहुत शक्तिशाली असुर हो गए थे और वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगें। उन्होंने कई देवी-देवताओं की हत्या कर दी थी और स्वर्ग में अत्याचार मचा रखा था। सबसे शक्तिशाली महिषासुर था। उसका अंत करने के लिए देवों के देव महादेव भगवान शिव, जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी और भगवान ब्रह्मा जी ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया। सभी देवताओं ने मां दुर्गा को हथियार दिए। फिर इसके बाद मां दुर्गा पृथ्वी पर प्रकट हुई। मां दुर्गा ने असुरों का वध किया। इसके बाद उसी दिन से दुर्गाष्टमी के त्योहार की शुरुआत हुई।
दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व
पंडितों के अनुसार दुर्गाष्टमी के अवसर पर पूजा-व्रत करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। इसके अलावा मनोकामना पूरी होती है और जीवन में चल रही समस्याओं से निजात मिलती है। मां दुर्गा अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में उन्नति, धन में समृद्धि का लाभ प्राप्त होता है।
दुर्गाष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 19 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से हो रही है। इसका समापन 20 दिसंबर सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 20 दिसंबर को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाएगा।
दुर्गाष्टमी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर जल्दी से स्नान कर लें। माता दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही माता दुर्गा के सामने दीप प्रज्वलित करना चाहिए। उसके बाद अक्षत सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए। भोग के रूप में मिठाई चढ़ाना चाहिए। धूप,दीप, अगरबत्ती जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। फिर जिस जगह पूजा करनी है, उस स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें। पूजा के दौरान मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। साथ ही घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। माता रानी को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें। प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। आखिर में धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां दुर्गा की आरती करें। ऐसा करने से माता दुर्गा जल्द प्रसन्न होती है और अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती है।
जानें दुर्गाष्टमी व्रत के नियम
पंडितों के अनुसार दुर्गा अष्टमी के दिन भूल कर भी घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां दुर्गा घर में आती हैं इसलिए घर को कभी खाली नहीं छोड़ना चाहिए। दुर्गा अष्टमी व्रत में सुबह से लेकर शाम तक अन्न नहीं खाना चाहिए इसके साथ ही अगर संभव हो तो केवल दूध, फल का ही सेवन करना चाहिए। दुर्गा अष्टमी के दिन शाम को विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। व्रती ब्रह्मचर्य का पालन करें और शांत चित होकर मां दुर्गा का ध्यान करें। दुर्गा अष्टमी के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ विधि अनुसार करना चाहिए। ऐसा करने से मां दुर्गा आपसे प्रसन्न होती हैं। सूर्यास्त के बाद इस व्रत का समापन करना चाहिए। समापन करने के बाद सात्विक भोजन से ही व्रत का पारण करना चाहिए।
- प्रज्ञा पाण्डेय