तीन महीने में कम होने लगता है एस्ट्राजेनेका टीके का प्रभाव,लैसेंट ने अध्ययन में किया दावा

By टीम प्रभासाक्षी | Dec 22, 2021

कोरोना वायरस के एस्ट्रोजेनिका के टीके जिसे ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर विकसित किया है। अब उसके प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट आई है कि इससे वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता समय के साथ साथ कम होने लगती है। आपको बता दें कि भारत का सिरम इंस्टीट्यूट इसका निर्माण कर रहा है। ऑक्सफोर्ड और  एस्ट्राजेनेका के कोविड टीके से मिलने वाली सुरक्षा दूसरी डोज लेने के बाद यह सुरक्षा 3 महीने बाद कम होने लगती है। यह दावा प्रतिष्ठित मैगजीन लैसेंट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में किया गया है। भारत में यह टीका कोविशील्ड के नाम से उपलब्ध है।


लैसेंट जर्नल ने यह अध्ययन ब्राजील और स्कॉटलैंड के डाटा से निकाले निष्कर्षों गए के आधार पर किया है। निष्कर्षों में कहा गया है कि जिन लोगों ने यह टीका लगवाया है, उन्हें गंभीर बीमारी से बचने के लिए बूस्टर डोज की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में स्कॉटलैंड के 20 लाख और ब्राजील के 4.2 करोड़ लोग जिन्होंने एस्ट्रोजेनेका का टीका लगवाया है उनके डेटा का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि टीके के असर में कमी  3 महीने बाद आना शुरू हो जाती है। इसके साथ ही आप इसकी दूसरी डोज लेते हैं तो उसके असर मैं 4 महीने बाद कमी आने शुरू हो जाती है।


 टिकों के काम होते असर के बारे में ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के प्रोफेसर अजीज शेख ने कहा कि, टीके इस वैश्विक महामारी के खिलाफ हमारा प्रमुख हथियार हैं। लेकिन समय के साथ-साथ उनकी प्रभावशीलता में कमी आना चिंता का सबब है। आपको बता दें कि इस अध्ययन में उन लोगों के परिणामों की तुलना करके 15 दिन के अंतराल पर टीके की प्रभावशीलता का अनुमान लगाया गया है। इस अध्ययन में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।


 प्रोफेसर अजीज शैक्ख ने आगे कहा, इस बात की पहचान करके की एस्ट्रजेनेका के टीके के असर में कमी आना कब शुरू होती है, सरकारें इस डेटा के जरिये यह तय कर सकती हैं कि लोगों को बूस्टर डोज कब दी जाए। इस अध्ययन में टीके की प्रभावशीलता के असर में कमी स्कॉटलैंड और ब्राजील दोनों ही जगहों का डेटा यह बताता है कि टीके के प्रभाव में कमी 3 महीने बाद आना शुरू हो जाती है।

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