हमारी पुरातन परंपराओं से प्रेरित है ऊर्जा और सतत विकास, PM मोदी बोले- भारत का विजन स्पष्ट है

By अनुराग गुप्ता | Mar 04, 2022

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सतत विकास के लिए ऊर्जा पर वेबिनार में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ऊर्जा और सतत विकास हमारी पुरातन परंपराओं से प्रेरित है और भविष्य की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं की पूर्ति का मार्ग है। भारत का स्पष्ट विजन है कि सतत विकास सतत ऊर्जा से ही संभव है। 

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उन्होंने कहा कि टिकाऊ ऊर्जा से ही भारत का सतत विकास संभव है। शून्य देश बनने का वादा किया है। हमने लाइफ मिशन- लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट को भी आगे रखा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2030 तक हमारा लक्ष्य गैर-जीवाश्म स्रोतों द्वारा अपनी स्थापित ऊर्जा क्षमता का 50 फीसदी प्राप्त करना है। भारत ने अपने लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं और हम उन्हें अवसरों के रूप में देखते हैं। भारत पिछले कुछ वर्षों में उसी दृष्टि से उस सड़क पर आगे बढ़ा है। इस वर्ष के बजट में उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल निर्माण के लिए 19,500 करोड़ रुपए की घोषणा की गई है। हमने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की भी घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र उर्वरकों, रिफाइनरियों और परिवहन क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत की क्षमता का पूर्ण उपयोग करने के लिए निजी क्षेत्र को नवाचार करना चाहिए। अक्षय ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा भंडारण भी एक बड़ी चुनौती है। हमने भंडारण क्षमता को भी बड़ी प्राथमिकता दी है। इस साल के बजट में हमने बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी और इंटर-ऑपरेबिलिटी मानकों के लिए प्रावधान किए हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्थिरता के लिए ऊर्जा की बचत और उत्पादन समान रूप से महत्वपूर्ण है। हमें यहां भारत में अधिक ऊर्जा-कुशल एसी, हीटर, गीजर और इसी तरह के उपकरणों के निर्माण के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। एलईडी बल्ब की कीमत 300-400 रुपए हुआ करती थी। हमारी सरकार ने इसका उत्पादन बढ़ाया, जिससे लागत कम हुई। हमने उजाला के तहत लगभग 37 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए हैं, जिससे बहुत सारी बिजली, गरीबों के लिए पैसा और कार्बन उत्सर्जन की बचत हुई है।

उन्होंने कहा कि हमने कोयला गैसीकरण के लिए चार पायलट परियोजनाओं की योजना बनाई है और इस क्षेत्र में भी नवाचार की आवश्यकता है। इथेनॉल सम्मिश्रण को भी बढ़ावा दिया गया है। हमें अपनी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को आधुनिक बनाने की जरूरत है।

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