By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 04, 2025
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को बेदखल किए गए लोगों को आश्रय नहीं देना चाहिए अन्यथा ‘‘हमारे लोगों कि स्थिति’’, जो बेदखली और अन्य उपायों के कारण सुधरी है वो फिर से ‘‘खराब हो जाएगी’’।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर लोग सहयोग करते रहेंगे तो सरकार ‘जाति (समुदाय)’ की रक्षा के लिए अपने अतिक्रमण विरोधी अभियान जारी रखेगी। बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) में आयोजित कार्यक्रमों से इतर संवाददाताओं से बातचीत में शर्मा ने कहा, ‘‘हमारे लोग अब सचेत हैं। मुझे नहीं लगता वे ज्यादा सहयोग करेंगे।’’
उनसे पूछा गया था कि क्या बेदखल किए गए लोग राज्य के अन्य हिस्सों में बस जाएंगे? उन्होंने कहा कि अतिक्रमणकारियों को वहीं लौट जाना चाहिए जहां से वे आए थे और सरकार को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है। जनता से बेदखल किए गए लोगों की सहायता नहीं करने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारे किसी भी व्यक्ति को उन्हें शरण नहीं देनी चाहिए अन्यथा हमारी स्थिति जो बेदखली और अन्य उपायों के कारण थोड़ी बेहतर हुई है, वो फिर से खराब हो जाएगी।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 29 लाख बीघा (9.5 लाख एकड़ से अधिक) भूमि अब भी अतिक्रमण के अधीन है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी बहुत काम किया जाना बाकी है यदि लोग हमारा सहयोग करें तो हम इसे कर पाएंगे और अपनी ‘जाति’ (समुदाय) की रक्षा कर पाएंगे।’’
नागालैंड से लगी अंतर-राज्यीय सीमा पर उरियमघाट इलाके में पिछले सप्ताह हुए बेदखली अभियान पर उन्होंने कहा, ‘‘वहां कोई नागा आक्रामकता नहीं है। नागा लोगों और सरकार ने बेदखली में हमारी मदद की है।’’ किसी समुदाय का नाम लिए बिना, उन्होंने कथित अतिक्रमणकारियों पर कई समस्याओं की जड़ होने का आरोप लगाया।
सरमा ने कहा, ‘‘हमारे जंगलों को सुपारी के बागानों और मत्स्य पालन के माध्यम से बदलकर वे हमें परेशान कर रहे हैं। ‘लव जिहाद’ कौन कर रहा है? यह हमारे साथ हो रहा है। ‘भूमि जिहाद’ किसने किया? यह हमारे साथ हो रहा है। रोना तो हमें चाहिए, लेकिन वे आंसू बहा रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि पिछले चार वर्षों में 1.29 लाख बीघा (42,500 एकड़ से अधिक) भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है, उन्होंने दावा किया कि ये बड़े भू-भाग ‘‘अवैध बांग्लादेशियों और संदिग्ध नागरिकों’’ के कब्जे में थे।
रविवार को उन्होंने कहा था कि सरकार ‘‘किसी भी भारतीय या असमी व्यक्ति’’ को बेदखल नहीं करेगी। इससे एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि स्थानीय लोगों द्वारा सार्वजनिक भूमि पर अनधिकृत कब्जा अतिक्रमण नहीं माना जाता है।