By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 21, 2018
नयी दिल्ली। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) बकायों की वापसी में देरी तथा नोटबंदी के प्रभाव जैसी रुकावटों के कारण अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे मुख्य बाजारों समेत वैश्विक मांग में सुधार के बाद भी 2017-18 में देश का निर्यात प्रभावित हुआ। उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी। देश का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत की दर से बढ़कर 302.8 अरब डॉलर रहा। हालांकि पहले अनुमान था कि यह 325 अरब डॉलर तक पहुंचेगा। इसी दौरान आयात 20 प्रतिशत की वृद्धि से 459.6 अरब डालर के बराबर रहा।
संगठन ने अपनी रिपोर्ट ‘कारोबार, उद्योग एवं निर्यातकों पर जीएसटी का असर’ में कहा कि निर्यात में मध्यम स्तर की 10 प्रतिशत की वृद्धि रही। पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा एक साल पहले के 108 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत बढ़कर 157 अरब डॉलर पर पहुंच गया। संगठन के अध्यक्ष अनिल खेतान ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि नोटबंदी के असर तथा जीएसटी की रुकावटों जैसे विभिन्न संरचनात्मक एवं घरेलू कारकों से निर्यात वृद्धि पर असर पड़ा है।
खेतान ने कहा कि कई निर्यातक अभी भी एकीकृत जीएसटी के अपने बकाया रिफंड के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।इससे उनको दैनिक खर्च की पूंजी का अभाव है और वे काम नहीं कर पा रहे हैं। खेतान ने कहा , ‘‘ हम एकीकृत जीसटी के बकाया वापसी की रुकावटों के कारण वैश्विक बाजार में उभरते अवसरों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि 2017-18 को भारत के लिए निर्यात में अप्रत्याशित वृद्धि से चूकने के लिए याद किया जाएगा जबकि अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसे मुख्य बाजारों के आयात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।