By कमलेश पांडे | Jun 25, 2025
प्रस्तुत पुस्तक "खामोशी जो कभी कहा नहीं..." कवयित्री शालिनी शर्मा का लघु कविता संग्रह है जो बुक लीफ पब्लिशिंग, इंडिया, यूएसए, यूके से प्रकाशित है। बिना कीमत वाली यानी मूल्यहीन इस पुस्तक में कुल 32 पृष्ठ हैं, जिसमें से 8 पेज कोरे कागज की तरह रिक्त रखे हुए हैं। शायद यह पाठकों से मूक आह्वान है कि पढ़ने के क्रम में इन्हें भरने की भी दरकार है। सम्भवतया यह इस बात का भी एक संकेत है कि जीवन-जगत की भावगत या साहित्यिक रिक्तताओं की तरह ही इन्हें भी देश-काल-पात्र के द्वारा अपने अपने मनमिजाज से इसे भरते रहने के लिए ही खाली छोड़ दिया गया है।
कहना न होगा कि शुरू से अंत तक इस पुस्तक हेतु चयनित कविताओं को पढ़कर यही लगता है कि लेखिका ने नारी अर्थात युवतियों व स्त्रियों की मूलभूत संवेदनाओं से जुड़े अधिकांश पहलुओं पर एक कटाक्ष भरी दृष्टि दौड़ाई है और अपने इस महान ध्येय में वो सफल रही हैं। वजह यह कि जीवन की जटिलताओं और मानव मन की गहराइयों पर उनके लफ्ज सटीक और करारा प्रहार करते दिखाई देते हैं।
इस लघु कविता संग्रह की भूमिका प्रभावशाली है और समर्पण के एक-एक शब्द हृदयबेधक हैं, जो एहसास और अंगड़ाई के बारे में, देह में प्राण बनकर बस जाने के बारे में, तन-मन को रचनात्मकता से भर देने के बारे में, जीवन जगत की मुश्किल पगडंडियों पर ले चलने-चलवाने के बारे में आभार प्रकट करते हैं, करवाते हैं और ऐसा ही करते रहने की प्रेरणा भी देते हैं। खुद लेखिका ने सखा तुल्य भगवान श्रीकृष्ण, माता-पिता और प्रकाशन संस्थान का जो आभार प्रकट किया गया है, उसकी भाष्य शैली आह्लादित करने वाली है।
वहीं, कालजयी रचनाकार अमृता प्रीतम और गुलजार साहब की चर्चा के बहाने किताबों की खुशबू के साथ साथ पढ़ने के शौक के, उससे विकसित हुई सोच-समझ के बारे में, दोस्त व हमराज के विषय में कवयित्री जो महसूस करती हैं, वही उन्होंने अपनी इन लघु कविताओं में लिखा है। इस मायने में उनकी शब्द शिल्प, कथा शिल्प, कविता शिल्प अनोखी है।
देखा जाए तो कुल 21 कविता शीर्षक जैसे- सहारा, चलो फिर से शुरू करते हैं, अंगदान महादान, तेरे मेरे दरमियां, हम-तुम, मोहब्बत या इबादत, चंद कतरे, बेखौफ होना चाहती हूं मैं, वो लम्हा, इस बरसात भीगना है मुझे, तू मेरे वास्ते समंदर हो जा, इश्क, मीठे पानी की नदी, शिकायत, हंसते जख्म, धीमा जहर, बेकरारी, खिड़कियां, कागज की किश्ती, मोहपाश और पहरन के माध्यम से लेखिका ने बहुत कुछ कहने का सफल प्रयास किया है।
खामोशी नामक पुस्तक की इन लघु कविता शीर्षकों के माध्यम से कवयित्री ने युवतियों और स्त्रियों की मनोदशा का बहुत ही खूबसूरत चित्रण करते हुए मानवीय मनोदशाओं को जो उभारा है और बातों ही बातों में जज्बाती तेवर प्रदर्शित करते हुए जो करारा प्रहार किया है, वह एक अद्भुत काव्य शैली है। राग-द्वेष, प्रेम-विरह, सहयोग-समर्पण, आभार-शिकायत, ज्ञान-विज्ञान की बातों, जीवन की सावधानियों को बखूबी इसमें पिरोया गया है।
लिहाजा इस विधा की लेखन शैली की बहुत डिमांड माइक्रोब्लॉगिंग साहित्यिक काव्यमय परिवेश को है, इसलिए लेखिका का यह प्रयास स्तुत्य है, प्रेरणास्पद है, जिज्ञासा बर्द्धक है, अनुकरणीय है। इस पुस्तक में नारी जीवन से जुड़े इंद्र धनुषी मनोभावों को दर्शाने का अथक प्रयत्न किया गया है, इसलिए स्त्रियों को, उनके सर्वकालिक सहयोगी पुरुषों को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।
पुस्तक का नाम: खामोशी जो कभी कहा नहीं
लेखिका का नाम: शालिनी शर्मा
प्रकाशक का नाम: बुक लीफ पब्लिशिंग, इंडिया
पुस्तक का मूल्य: शून्य रुपए
पुस्तक समीक्षक: कमलेश पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार