पंजाबी अखबारों की रायः मानवीय इच्छाशक्ति की विजय के प्रतीक थे फौजा सिंह

By डॉ. आशीष वशिष्ठ | Jul 19, 2025

मशहूर एथलीट फौजा सिंह का 114 साल की उम्र में सड़क हादसे में निधन, अहमदाबाद विमान दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट, पंजाब विधानसभा में पेश बेअदबी विरोधी विधेयक पर इस हफ्ते पंजाबी अखबारों ने अपनी राय प्रमुखता से रखी।


चंडीगढ़ से प्रकाशित ‘पंजाबी ट्रिब्यून’ अपने संपादकीय में लिखता है- 114 वर्षीय मैराथन धावक फ़ौजा सिंह की अपने गृहनगर जालंधर के निकट एक सड़क दुर्घटना में मौत ने उस जीवन का अंत कर दिया, जिसने उम्र, सहनशक्ति और साहस की सीमाओं को चुनौती दी थी। वह सिर्फ़ एक बुज़ुर्ग मैराथन धावक नहीं थे, बल्कि समय की मार पर मानवीय इच्छाशक्ति की विजय के प्रतीक थे। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने जन्म प्रमाण पत्र की कमी के कारण उनके रिकॉर्ड को दर्ज करने से इनकार कर दिया, लेकिन फौजा सिंह को अपनी पात्रता साबित करने के लिए किसी भी कागजात की आवश्यकता नहीं थी और उन्होंने अपनी दौड़ जारी रखी। फौजा सिंह ने अपनी पहचान से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने लंदन मैराथन में बिना पगड़ी के दौड़ने से इनकार कर दिया। फौजा सिंह ने लोगों में उम्मीद जगाई और अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया कि उम्र किसी भी चीज़ में बाधा नहीं बन सकती। उनकी प्रसिद्धि वैश्विक स्तर पर तब फैली जब उनकी तुलना मुहम्मद अली और डेविड बेकहम से की जाने लगी। अन्य लोगों के साथ, वह एडिडास के 'असंभव कुछ भी नहीं' अभियान का चेहरा बन गए।

इसे भी पढ़ें: Fauja Singh Death | 114 वर्षीय मैराथन दिग्गज फौजा सिंह के हिट-एंड-रन मामले में 30 घंटे के भीतर NRI गिरफ्तार

जालंधर से प्रकाशित 'पंजाबी जागरण' लिखता है-  फौजा सिंह ने बार-बार साबित किया कि उम्र बस एक संख्या है। अगर आपमें जुनून और साहस है, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं है। दुनिया उन्हें 'टर्बन्ड टॉरनेडो' के नाम से जानती थी क्योंकि भारत के प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह ने 'टर्बन्ड टॉरनेडो' शीर्षक से उनकी जीवनी लिखी थी। सिमरनजीत सिंह ने बच्चों के लिए एक किताब लिखी, 'फौजा सिंह कीप्स गोइंग', जो सिख चरित्र पर केंद्रित पहली प्रमुख बच्चों की किताब थी। उनके जीवन पर कई वृत्तचित्र और फ़िल्में बनीं, जिनमें 'फ़ौजा सिंह: स्पिरिट ऑफ़ द मैराथन' और 'अनब्रोकन'  शामिल हैं। अखबार आगे लिखता है—  साल 2013 में, 101 वर्ष की आयु में, फौजा सिंह ने दौड़ से संन्यास ले लिया, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य, आनंद और दान के लिए दौड़ना जारी रखा। सादगी, शाकाहारी जीवनशैली और सिख सिद्धांतों के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल एक महान एथलीट बनाया, बल्कि एक प्रेरक व्यक्तित्व भी बनाया। उनकी विरासत पंजाब, पंजाबियों और दुनिया भर के लोगों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।


जालंधर से प्रकाशित 'अज दी आवाज'  लिखता है— फौजा सिंह 'जब जागो, तब जागो' के आदर्श वाक्य के प्रत्यक्ष उदाहरण थे। उनके शुरुआती दिन बेहद चुनौतीपूर्ण थे। सरदार फौजा सिंह उन लोगों के लिए भी एक बेहतरीन उदाहरण रहेंगे जो उम्र की बाधाओं के कारण हिम्मत हार जाते हैं।


चंडीगढ़ से प्रकाशित ‘रोजाना स्पोक्समैन’ अपने संपादकीय शीर्षक ''युगपुरुष का निधन'' में लिखता है— फौजा सिंह ने दुनिया के लगभग सभी महत्वपूर्ण शहरों में मैराथन स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। ऐसा करने के पीछे कोई आर्थिक महत्वाकांक्षा या लालच नहीं था बल्कि अगर कोई पुरस्कार राशि होती, तो उसे सामाजिक या धार्मिक कार्यों के लिए दान कर देते थे। उनका पूरा जीवन इस कथन का उदाहरण है कि जो उम्र को बंधन नहीं मानते, उनके लिए किसी भी उम्र में आसमान से कोई दुर्लभ रत्न उतार लाना कोई मुश्किल काम नहीं है।


पंचकूला से प्रकाशित ‘निर्भय सोच’ लिखता है— वे एक महान व्यक्ति थे। वे सिख जगत के लिए गौरव का स्रोत थे। उन्होंने विश्व में सिखों की पहचान बनाने में बहुमूल्य योगदान दिया है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणा का स्रोत रहेगा।


बीते 12 जून को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के एक महीने बाद जारी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर चंडीगढ़ से प्रकाशित 'पंजाबी ट्रिब्यून'  लिखता है— विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान के उड़ान भरने के एक सेकंड के भीतर ही इंजनों को ईंधन की आपूर्ति बंद कर दी गई थी। क्या यह सॉफ्टवेयर की खराबी के कारण हुआ या मानवीय भूल के कारण? इस अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न ने गंभीर अटकलों को जन्म दिया है, जबकि एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने यह आरोप लगाया है कि जांच में 'पायलट की गलती' को स्वीकार किया गया है, और ऐसा प्रतीत होता है कि समय से पहले ही निष्कर्ष पर पहुंच गई है।  अखबार लिखता है— इस दुर्घटना ने लोगों की विश्वसनीयता को भी गहरा धक्का पहुंचाया है।


जालंधर से प्रकाशित ‘अजीत’ लिखता है— अहमदाबाद विमान हादसा देश के हवाई यात्रा इतिहास का सबसे बुरा हादसा था। इसने हवाई यात्रा की सुरक्षा के बारे में कई सवाल खड़े किए हैं। एक महीने बाद जारी दुर्घटना की पहली रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि यह मानवीय भूल थी या तकनीकी गड़बड़ी। पूरी और विस्तृत रिपोर्ट जारी होने में महीनों या सालों भी लग सकते हैं। अखबार लिखता है— भले ही आज हवाई यात्रा प्रणाली को हर दृष्टि से दोषरहित बनाने के लिए बहुत कुछ किया गया है, फिर भी ऐसी दुर्घटना का होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और विमानन कंपनियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।


पटियाला से प्रकाशित 'चढ़दीकलां' लिखता है, यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या दुर्घटना के बाद विमानन नियामक और संबंधित कंपनियों ने जो सतर्कता और गंभीरता दिखाई, वह पहले नहीं दिखाई गई थी? अगर नहीं, तो अभी इसकी ज़रूरत क्यों है? तो क्या अनिवार्य सावधानियों की यह व्यवस्था भविष्य में भी प्रासंगिक रहेगी? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि आमतौर पर किसी दुर्घटना से मिले सबक का असर प्रशासनिक व्यवस्था पर ज़्यादा देर तक नहीं रहता और व्यवस्था फिर से उसी ढर्रे पर चलने लगती है।

 

पंजाब में धर्मग्रंथों के अपमान यानी बेअदबी से जुड़ा बेअदबी विरोधी विधेयक बीते दिनों विधानसभा में पेश किया गया। बेअदबी विधेयक पर पटियाला से प्रकाशित 'चढ़दीकलां'  लिखता है—  आम आदमी पार्टी ने पंजाब की जनता से यह वादा किया था कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाएगी। विपक्ष इस सरकार पर आरोप लगाता रहा है कि उसने पिछले साढ़े तीन वर्षों में बेअदबी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। जैसा कि कहते हैं, देर आए दुरुस्त आए। पंजाब विधानसभा ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के विरुद्ध विशेष विधेयक को पारित करने के लिए विशेष सत्र बुलाया था। इस विधेयक पर चार घंटे तक बहस हुई।


चंडीगढ़ से प्रकाशित ‘रोजाना स्पोक्समैन’ लिखता है- ‘पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025' शीर्षक वाले इस नए विधेयक में श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद् गीता, कुरान शरीफ और बाइबिल जैसे पवित्र धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। विधेयक पर बहस के दौरान भाजपा विधायकों ने मांग की कि हनुमान चालीसा और राम चरित मानस को भी इस विधेयक के दायरे में लाया जाना चाहिए। अखबार लिखता है— पंजाब में बेअदबी बड़ा संवेदनशील मुद्दा रहा है। पूर्ववर्ती भाजपा-अकाली दल और कांग्रेस सरकारों को इस मु्द्दे पर जनता का गुस्सा झेलना पड़ा है। इससे पहले तीन बार बेअदबी विधेयक विफल हो चुका है। अब चौथे विधेयक को पहले तीन विधेयकों जैसा बनने से बचाने के लिए ज़रूरी है कि सभी पुराने और नए क़ानूनी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया जाए। मुद्दे की गंभीरता और संवदेनशीलता के मद्देनजर विधेयक को विधायकों की एक प्रवर समिति को सौंपने का निर्णय लिया गया। समिति इसके प्रावधानों पर जनता सहित सभी हितधारकों से सुझाव मांगेगी, और छह महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।


 -डॉ. आशीष वशिष्ठ  

(स्वतंत्र पत्रकार) 

प्रमुख खबरें

Hyderbad House में शुरू हुई Modi-Putin की बैठक, भारत–रूस संबंधों की दशकों पुरानी नींव और नेतृत्व की दूरदर्शिता पर दिया जोर

IndiGo Flight Cancellation |ऑपरेशनल संकट में फंसा इंडिगो, 600 उड़ानें कैंसिल, कंपनी ने मांगी DGCA से राहत, कब सुधरेगा एयरलाइन का सिस्टम?

Kamakhya Beej Mantra: कामाख्या बीज मंत्र, तंत्र शक्ति का द्वार, जानें जप विधि से कैसे होंगे धनवान

हम शांति के साथ हैं, तटस्थ नहीं: पुतिन संग वार्ता में PM मोदी का रूस-यूक्रेन पर बड़ा संदेश