भारतीय फुटबॉल का भविष्य अधर में लटका, FIFA ने दिया AIFF को अल्टीमेटम, लग सकता है प्रतिबंध

By Kusum | Aug 27, 2025

भारत में फुटबॉल का भविष्य खतरे में है। दरअसल, भारतीय फुटबॉल पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि वैश्विक संचालन संस्था फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ ने संकटग्रस्त अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को सख्त चेतावनी दी है कि उसे 30 अक्तूबर तक नया संविधान अपनाना और उसकी पुष्टि करनी होगी या फिर निलंबन झेलना होगा।

 

बता दें कि, एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे को मंगलवार को लिखे दो पन्नों के कड़े पत्र में दोनों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने 2017 से उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बाद भी महासंघ द्वारा अपने संविधान को अंतिम रूप देने में विफलता पर गहरी चिता जताई। वहीं अब शीर्ष अदालत गुरुवार को इस पर सुनवाई करेगी। 


बता दें कि, अगर निलंबन लगा तो इसका मलतब होगा कि राष्ट्रीय टीमों और क्लबों को सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से प्रतिबंध र दिया जाएगा और साथ ही अहमदाबाद में 2036 के ओलंपिक खेलों के लिए भारत की महत्वाकांक्षी बोली भी अनिश्चितता में पड़ जाएगी। 

 

वहीं फीफा और एएफसी ने चौबे के नेतृत्व वाले एआईएफएफ को संशोधित संविधान को मंजूरी देने के लिए उच्चतम न्यायालय से एक निश्चित आदेश प्राप्त करने, इसे फीफा और एएफसी के अनिवार्य नियमों के अनुरूप बनाने और 30 अक्तूबर की समय-सीमा से पहले अगली आम सभा की बैठक में इसकी पुष्टि करने का निर्देश दिया है। 


पत्र में कहा गया है कि, इस कार्यक्रम का पालन नहीं करने पर हमारे पास इस मामले को निर्णय लेने वाली फीफा की संबंधित संस्था के पास विचार और निर्णय के लिए भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। जिसमें निलंबन की संभावना भी शामिल है। साथ ही पत्र पर फीफा के मुख्य सदस्य संघ अधिकारी एल्खान मामादोव और एएफसी के उप महासचिव वाहिद कर्दानी ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं। ये पहली बार नहीं है जब भारतीय फुटबॉल को इस तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। 


गौरतलब है कि, अगस्त 2022 में फीफा ने भारत को तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के आरोप में निलंबित कर दिया था जब उच्चतम न्यायाल द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति ने अस्थायी रूप से एआईएफएफ का संचालन किया था। ये प्रतिबंध देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के जश्न के दौरान लगाया था लेकिन सीओए के भंग होने और चुनाव होने के दो सप्ताह के भीतर इसे हटा लिया गया था। चुनावों में चौबे ने एकतरफा परिणाम में दिग्गज फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया को हराया था।  

 

वहीं विश्व निकायों ने एआईएफएफ के संशोधित संविधान को अंतिम रूप देने और लागू करे में निरंतर विफलता पर चिंता व्यक्त की। ये मामला 2017 से भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के सामने विचाराधीन है। पत्र में कहा गया है कि बार-बार आश्वासन के बावजूद एक स्पष्ट और अनुपालनकारी प्रशासनिक ढांचे के अभाव ने भारतीय फुटबॉल के मूल में शून्य और कानूनी अनिश्चितताएं पैदा कर दी हैं। 


दोनों संस्थाओं ने एआईएफएफ को समय-सीमा तक तीन तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है। पत्र में कहा गया है कि, एआईएफएफ के संशोधित संविधान को मंजूरी देने के लिए भारत के उच्चतम न्यायालय से एक निर्णायक आदेश प्राप्त करें। एआईएफएफ संविधान का फीफा और एएफसी के नियमो और विनियमों के अनिवार्य प्रावधानों के साथ पूर्ण अनुकूलन सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा है कि, एआईएफएफ की अगली आम बैठक में एआईएफएफ संविधान की औपचारिक पुष्टि प्राप्त करें।  

प्रमुख खबरें

Go Nightclub Tragedy: 25 मौतें, अवैध निर्माण और सुरक्षा लापरवाही उजागर

2017 एक्ट्रेस असॉल्ट केस में बरी होने पर दिलीप की पहली प्रतिक्रिया, बोले- “9 साल साथ देने वालों का धन्यवाद”

ब्रिटेन से पाक मूल अपराधियों की वापसी के बदले दो राजनीतिक आलोचकों की मांग का दावा

Trump ने कहा- शांति प्रस्ताव पर ज़ेलेंस्की अभी तैयार नहीं, रूस ने दिखाई सहमति