मुक्काबाज में विनीत और जिम्मी शेरगिल का शानदार अभिनय

By प्रीटी | Jan 15, 2018

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'मुक्काबाज' अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में काफी तारीफ बटोर चुकी है। खेलों पर आधारित फिल्में इधर काफी हिट भी रही हैं। इस फिल्म की कहानी पर बात करें तो वह भले साधारण लगे लेकिन प्रस्तुतिकरण सशक्त है। यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। निर्देशक अनुराग कश्यप ने इस फिल्म के निर्माता विनीत कुमार सिंह को लीड रोल में लेने की हामी तभी भरी जब विनीत रिंग में उतर कर बॉक्सिंग में परफेक्ट हो गये। किन्हीं कारणों से फिल्म को सिनेमाघरों तक पहुँचने में लंबा समय लग गया।

फिल्म की कहानी बरेली में रह रहे श्रवण सिंह (विनीत कुमार सिंह) के इर्दगिर्द घूमती है। श्रवण सफल मुक्केबाज बनना चाहता है लेकिन वह गरीब परिवार से है इसलिए ट्रेनिंग नहीं ले पाता। किसी तरह वह मुक्केबाजी फेडरेशन के अधिकारी भगवानदास मिश्रा (जिम्मी शेरगिल) के यहां जाता है, लेकिन स्वभाव से दबंग भगवान दास उसे बॉक्सिग की ट्रेनिंग देने की बजाए अपने घर के कामकाज में लगा देता है। श्रवण को यह सब सही नहीं लगता और एक दिन वह भगवान दास को ही मुक्का मार देता है। भगवान दास नाराज हो जाता है और ठान लेता है कि श्रवण को मुक्केबाज नहीं बनने देगा। भगवान दास उसके कॅरियर में जब अड़चन पैदा करने लगता है तो श्रवण बनारस चला जाता है जहां कोच (रवि किशन) उसके टैलंट को पहचानता है। जल्द ही जिला टूर्नामेंट जीतने के बाद श्रवण को रेलवे में नौकरी मिल जाती है। अब श्रवण नेशनल चैंपियनशिप की तैयारी में लगा है लेकिन भगवान दास एक साजिश रचता है।

 

अभिनय के मामले में विनीत का वाकई जवाब नहीं। जो निर्देशक बतौर अभिनेता उनके साथ काम करने को तैयार नहीं थे शायद वह अब दोबारा सोचेंगे। फाइट के सीन एकदम रियल नजर आते हैं। सुनैना के रोल में जोया हुसैन भी जमी हैं। जिम्मी शेरगिल अपने रोल में सर्वाधिक प्रभावी रहे। कोच के रोल में रवि किशन का काम भी दर्शकों को पसंद आयेगा। निर्देशक अनुराग कश्यप ने फिल्म में गुंडाराज व जातिवाद पर उभरते खिलाड़ियों के संघर्ष को प्रभावी ढंग से पेश किया। फिल्म की लंबाई कुछ कम की जा सकती थी।

 

कलाकार- विनीत सिंह, जोया हुसैन, जिम्मी शेरगिल, रवि किशन और निर्देशक- अनुराग कश्यप।

 

- प्रीटी

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