मिजोरम के 5 बार मुख्यमंत्री रहे लल थनहवला नहीं चाहते थे चुनाव लड़ना

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 12, 2018

आइजोल। कांग्रेस के दिग्गज नेता और मिजोरम में पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके लल थनहवला इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरना चाहते थे, लेकिन चुनाव लड़ने की स्थिति में उन्होंने विधानसभा में फिर प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए दो सीटों से पर्चा भरा, दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अपने चार दशक से लंबे सियासी सफर में कांग्रेसी रहे लल थनहवला ने दिसंबर 2013 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मीडिया से कहा था कि वह 2018 में चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वह तब 80 साल के हो जाएंगे। लेकिन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और भाजपा से मिलने वाली चुनौती को देखते हुए वह रिकॉर्ड 10वीं बार विधानसभा पहुंचने के सपने के साथ गृह क्षेत्र सिरेछिप और चम्फाई दक्षिण से चुनाव मैदान में उतरे।

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मिजोरम को 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और इसके बाद वह 1989 में मुख्यमंत्री बने। हालांकि वह 1989 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। वह इससे पहले 1984 में मुख्यमंत्री बन चुक थे लेकिन 30 जून, 1986 में मिजोरम संधि के बाद उन्होंने इसे लागू करने के लिए पद से इस्तीफा दे दिया था। भूमिगत मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के सुप्रीमो लालडेंगा की सरकार में वह उप मुख्यमंत्री बने। इसके बाद मिजोरम जनता दल (एमजेडी) के साथ गठबंधन कर वह 1993 में दोबारा चुन कर आए और तीसरी बार सत्ता पर काबिज हुए। 1998 में जोरमथंगा के नेतृत्व में एमएनएफ से कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। लल थनहवला को भी अपने गृहक्षेत्र में इंजीनियर के थनगुजाले के हाथों अपनी सीट गंवानी पड़ी और पांच साल विधानसभा से बाहर रहे।

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इसके बाद वह 2003 सेरछिप से चुने गए और विपक्ष के नेता बने। थनहवला के नेतृत्व में 2008 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में सूपड़ा साफ किया। राज्य की 40 सीटों में से 32 सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की और थनहवला चौथी बार मुख्यमंत्री बने। 2013 में कांग्रेस को 34 सीटों पर जीत मिली और वह पांचवी बार मुख्यमंत्री बने। थनहवला का जन्म 19 मई, 1938 में हुआ। कला से स्नातक थनहवला मिजोरम विधानसभा चुनाव में 1978 में पहली बार जीतकर विधायक बने। उन्होंने चम्फाई सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था।

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