By Neha Mehta | Aug 19, 2025
पिछले चार वर्षों में मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार के तहत तमिलनाडु में हिंसक अपराधों, लक्षित हत्याओं और कानून-व्यवस्था को लेकर जनचिंता में खतरनाक इज़ाफा हुआ है। एक समय पर प्रशासनिक स्थिरता के लिए पहचाने जाने वाला राज्य अब गलत कारणों से सुर्खियों में है।
साल 2024 में कई राजनीतिक हत्याएं खुलेआम हुईं, जिससे सभी दलों में रोष फैल गया। शुरुआत हुई बसपा के तमिलनाडु प्रमुख के. आर्मस्ट्रांग की निर्मम हत्या से, जिन्हें चेन्नई में सरेआम काट डाला गया – वो भी उस शहर में जो हाई-सर्विलांस के तहत है। पुलिस ने इसे आपसी रंजिश बताया, पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सीबीआई जांच की मांग की।
इससे एक दिन पहले, एआईएडीएमके कार्यकर्ता एम. शन्मुगम की सेलम में हत्या कर दी गई थी। आरोपियों में एक डीएमके पार्षद का पति भी शामिल था, जिससे राजनीतिक संरक्षण की आशंका और गहरी हो गई।
16 जुलाई को, नाम तमिझर कच्ची के मदुरै उत्तर के उप सचिव सी. बालासुब्रमण्यम की सुबह की सैर के दौरान हत्या कर दी गई। इसी तरह भाजपा के सेल्वाकुमार (सिवगंगा), कांग्रेस पार्षद के पति (कन्याकुमारी), और एआईएडीएमके के पद्मनाभन (पुडुचेरी के पास) की भी हत्या हुई।
मई में तिरुनेलवेली में सामाजिक कार्यकर्ता टी. फर्डिन रायन पर बर्बर हमला हुआ, क्योंकि वे अवैध निर्माण और खनन के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। पुदुकोट्टई के जगबार अली, जो एआईएडीएमके के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सचिव थे, को भी अवैध खनन के खिलाफ बोलने के कारण निशाना बनाया गया। एक वीडियो में उन्होंने हत्या की आशंका जताई थी, लेकिन फिर भी उन्हें एक टिपर लोरी ने कुचल दिया।
मार्च 2025 में, 60 वर्षीय सेवानिवृत्त सब-इंस्पेक्टर जाहिर हुसैन बिजली की हत्या ने सबको झकझोर दिया। वे करुणानिधि के विशेष सेल में थे और वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए लगातार शिकायतें कर रहे थे। हत्या से पहले उन्होंने अपनी जान को खतरा बताया था, पर फिर भी उन्हें चेन्नई की सड़कों पर मौत मिली।
इन घटनाओं के बाद एआईएडीएमके और बीजेपी ने डीएमके सरकार पर जोरदार हमला बोला। एआईएडीएमके प्रमुख एडप्पाडी के. पलानीस्वामी ने पुलिस को अधिक स्वतंत्रता देने की मांग की, वहीं भाजपा के पूर्व राज्य अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने सरकार पर “असामाजिक तत्वों को पनपने देने” का आरोप लगाया।
जनवरी से जून तक हर साल औसतन 4 हत्याएं रोज़ हो रही हैं।
हालांकि आंकड़ों में भारी उछाल नहीं दिखता, पर घटनाओं की निर्भीकता और सार्वजनिक स्थानों में हुई हत्याएं पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही हैं।
कुछ चौंकाने वाली घटनाएं:
इन घटनाओं ने राज्य भर में आक्रोश पैदा कर दिया और महिलाओं की सुरक्षा पर गहरी चिंता जताई जा रही है।
तमिलनाडु में कच्ची शराब से जुड़ी मौतों का इतिहास पुराना है:
DMK का दावा “शून्य हूच त्रासदी” का झूठा साबित हुआ है। इसके अलावा, शराब और ड्रग्स से जुड़ी घरेलू हिंसा में भी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पुनर्वास और रोकथाम के प्रयास नाकाफी हैं।
2021 के विधानसभा चुनाव में डीएमके ने “महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित, अपराधमुक्त राज्य” का वादा किया था। 2022 में सीएम स्टालिन ने कहा था कि “कानून तोड़ने वालों से लोहे की तरह सख्ती से निपटा जाएगा।” लेकिन हालिया घटनाओं को देखकर सवाल उठता है – वो ‘लोहे की मुट्ठी’ आखिर गई कहां?
हत्या, नशे की लत, महिलाओं पर हमले और राजनीतिक हत्याएं – ये सब मिलकर एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं। सरकार चाहे इन अपराधों को “निजी दुश्मनी” बताकर किनारा कर ले, पर जनता की नज़र में भरोसे की दीवार दरक चुकी है। चुनाव नज़दीक हैं, और स्टालिन सरकार को अब सिर्फ़ बैलेट बॉक्स नहीं, बल्कि जनता की अदालत में भी अग्निपरीक्षा देनी होगी।