By अनन्या मिश्रा | May 06, 2025
05 मई को ज्ञानी जैल सिंह का जन्म हुआ था। अगर अब तक के हुए राष्ट्रपतियों की बात की जाए, तो पंजाब से सिर्फ ज्ञानी जैल सिंह सर्वोच्च पद पर सुशोभित हुए हैं। वह देश के 7वें राष्ट्रपति थे। लेकिन देश के 7वें राष्ट्रपति के तौर पर उनका कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण रहा। उनका जीवन और राजनीतिक सफर दोनों ही काफी दिलचस्प और विवादों से घिरे रहे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर ज्ञानी जैल सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
फरीदकोट-कोटकपूरा हाइवे पर स्थित संधवां गांव में 05 मई 1916 को ज्ञानी जैल सिंह का जन्म हुआ था। उनका वास्तविक नाम जरनैल सिंह था। उनके पिता किशन सिंह एक समर्पित सिख थे और वह गांव में बढ़ई का काम करते थे। छोटी उम्र में ज्ञानी जैल सिंह की मां का देहांत हो गया था। ऐसे में उनका लालन-पालन मां की बड़ी बहन द्वारा किया गया था। महज 15 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ काम करने लगे और अकाली दल से जुड़ गए।
ऐसे नाम पड़ा ज्ञानी
अमृतसर के शहीद सिख मिशनरी कॉलेज से गुरु ग्रंथ का पाठ याद करने के बाद उनको ज्ञानी की उपाधि मिली थी। साल 1938 में जरनैल सिंह ने प्रजा मंडल नामक एक पार्टी का गठन किया। जोकि भारतीय कांग्रेस के साथ संबद्ध होकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करती थी। यह बात अंग्रेजों और फरीदकोट रियासत को पसंद नहीं आई, ऐसे में जरनैल सिंह को जेल भेज दिया गया और पांच साल की सजा सुनाई गई।
ऐसे पंजाब के सीएम
साल 1962 में पंजाब विधानसभा का सदस्य चुने जाने पर जैल सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया। साल 1966 में प्रदेश कांग्रेस के प्रधान बने और साल 1972 में पंजाब विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल करके राज्य के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। साल 1979 में लोकसभा सांसद बनने पर उनको तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की सरकार में उनको केंद्रीय गृहमंत्री बनाया गया। वहीं साल 1982 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का कार्यकाल खत्म होने के बाद ज्ञानी जैल सिंह को देश के 7वें राष्ट्रपति के तौर पर नामित गया था। ज्ञानी जैल ने 25 जुलाई 1982 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली और उनका कार्यकाल 25 जुलाई 1987 तक रहा।
विवादों से घिरा रहा कार्यकाल
राष्ट्रपति के रूप में ज्ञानी जैल सिंह का कार्यकाल शुरूआत से लेकर अंत तक विवादों से घिरा रहा था। उनके राष्ट्रपति कार्यकाल में आपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या और 1984 के सिख-विरोधी दंगे जैसी कई अहम घटनाएं घटी। वहीं 31 मई 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार से एक दिन पहले तक उन्होंने अपनी योजना के बारे में एक शब्द साझा नहीं किया। वहीं ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सिखों ने उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया। फिर उसी साल 31 अक्तूबर को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। वहीं तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के साथ भी ज्ञानी जैल सिंह का मनमुटाव हो गया था।
मृत्यु
साल 1994 में तख्तश्री केशगढ़ जाते समय ज्ञानी जैल सिंह की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया। ऐसे में 25 दिसंबर 1994 को ज्ञानी जैल सिंह का निधन हो गया।