हरियाली क्रांति का फार्मूला, पर्यावरण पखवाड़ा मना किया पौधरोपण

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 17, 2020

कोरोना महामारी नें आज अपनें पैर पूरी पूरी दुनियां में पसार लिए हैं छुआछूत की वजह से फैलनें वाली इस बीमारी की वजह से बड़ी जनसंख्या घनत्व वाले शहर आज तबाही के कगार पर हैं | आये दिन भूकम्प का आना, टिड्डी दलों के हमले, अमेजन से लेकर उत्तराखंड के बनों का दहकता हो, पूरी पृथ्वी के  या फिर जंगली जानवरों का आबादी में हमला इन  सभी परिस्थितियों में मानव समाज के सामने अस्तित्व के संकट के रूप में उजागर हो रही है। इसका मुख्य कारण पृथ्वी पर मनुष्यों, जानवरों और वनस्पतियों का बिगड़ता संतुलन है।

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अपनें देश के संदर्भ में इन बातों को देखा जाय तो स्थिति और भी खराब नजर आती है अपने देश का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हजार 263 वर्ग किलोमीटर है | क्षेत्रफल के लिहाज से अपना देश विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत भौगोलिक हिस्सा रखता है |  लेकिन विश्व की कुल जनसंख्या का 17.5% हिस्सा  भारत का है इस वजह से अपने देश के प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। हमारी जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है लेकिन प्राकृतिक संसाधन सिमट रहे हैं  इस वजह से हमारे देश में प्राकृतिक संशाधनों पर प्रति व्यक्ति हिस्सेदारी कम होती  जा रही  है | इस परिस्थिति में बहुत से राजनेता और विचारक जहां जनसंख्या रोकनें की मांग कर रहे हैं वहीँ देश के 18 राज्यों के 202 जिलों में 14 हजार 5 सौ स्वयंसेवकों की मदद से 2 करोड़ से ज्यादे पेड़ लगा चुके पीपला बाबा , जिन्होंने 43 सालों से घटते पेड़ों को बढ़ाने के लिए जबरदस्त मुहीम छेड़ रखी है- देश में हरियाली क्रांति लानें का सुझाव देते हैं। उन्होंने अपने इस 15 दिवसीय पर्यावरण पखवाड़े में देश में 40 % पेड़ों का हिस्सा प्राप्त करनें के लिए 4 बड़ी बातें लागू करनें की अपील की है, पीपल बाबा का कहना है कि देश में श्वेत क्रांति, हरित क्रांति के तर्ज पर हरियाली क्रांति चलाई जानी चाहिए लेकिन हरियाली क्रांति में लोक भागीदारी हो इसे लोगों के संस्कार से जोड़ा जाये। 

मौलिक कर्तव्यों में हर नागरिक को पेड़ लगाने की बात को जोड़ा जाना।

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स्वच्छ पर्यावरण का मौलिक अधिकार हमें संविधान देता है और समय समय पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण भी इसकी वकालत करता रहा है। हमें पर्यावरण के मामले में अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर ज्यादे जोर देनें की जरूरत है। जैसे सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42वें संशोधन (1976 ई)० के द्वारा मौलिक कर्तव्य (इसे रूस के संविधान से लिया गया है) को संविधान में जोड़ा गया अब पीपल बाबा नें भारत सरकार से यह मांग की है कि मौलिक कर्तव्य नंबर 7 – नागरिक प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे में पर्यावरण संवर्धन हेतु हर साल एक पेड़ लगाकर उनके देखभाल करनें की बात को अनिवार्य किया जाए। 

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सिटीजन एनवायरनमेंट रेस्पोंसिबिलिटी–  CER को नागरिक के लिए अनिवार्य कर्तव्य घोषित किये जायं 

जैसे सी एस आर एक्ट -2013 के मुताबिक देश के बड़े औधोगिक घरानों को उनके कमाई के  2 % भाग को सामजिक कार्यों में खर्च करने के लिए अनिवार्य बना दिया गया था और देश के औधोगिक घरानों और समूहों नें सहर्ष स्वीकार किया था | वैसे ही देश के नागरिके लिए सिटीजन एनवायरनमेंट रेस्पोंसिबिलिटी तय की जाय कम से कम उन्हें साल भर में एक पेड़ लगाकर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी जरूर दी जाए। 

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स्वच्छ भारत अभियान में स्वच्छ पर्यावरण की हिस्सेदारी हो 

प्रधानमंत्री के द्वारा चलाये गए स्वच्छ भारत अभियान से देश के हर हिस्से के लोग जुड़े थे | साफ सफाई करते हुए तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी पर इन तस्वीरों में पेड़ लगाते हुए तस्वीरें भी दिखें – इसके लिए स्वच्छ भारत अभियान में स्वच्छ पर्यावरण का हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।


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